एनएच 730 के चौड़ीकरण के लिए मकान-दुकानों के ध्वस्तीकरण पर हाई कोर्ट ने लगायी रोक

कोर्ट का संबंधित अधिकारियों को विस्तृत प्रत्यावेदन देने का निर्देश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महराजगंज-गोरखपुर राजमार्ग (एनएच 730) पर चौड़ीकरण के नाम पर मकानों व दुकानों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचीगण संबंधित अधिकारियों को विस्तृत प्रत्यावेदन दें। अधिकारी उस प्रत्यावेदन का नियमानुसार निस्तारण करें, तब तक किसी भी प्रकार का निर्माण गिराया नहीं जाएगा।

महराजगंज के दीपक शरण श्रीवास्तव सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस वीके नारायण व जस्टिस प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने दिया है। याचियों का पक्ष अधिवक्ता विभु राय व सुमित कुमार श्रीवास्तव ने रखा। इनका कहना था कि याचियों ने महराजगंज-गोरखपुर मार्ग स्थित वीरबहादुर नगर में नक्शा स्वीकृत कराकर मकान व दुकानों का निर्माण कराया है। कुछ दिन पूर्व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने उनके मकान की चहारदीवारी पर लाल निशान लगा दिया। विभाग की ओर से बताया गया कि महराजगंज-गोरखपुर राजमार्ग का चौड़ीकरण पुलिस चौकी तिराहा से बल्ली नाला तक किया जाना है। इसके बीच में स्थित मकानों को चौड़ीकरण के लिए तोड़ा जाएगा।

अधिग्रहण के बिना कार्रवाई कैसे

अधिवक्ताओं की दलील थी कि याचीगण के मकान व दुकान की अधिग्रहण की कार्रवाई नहीं की गई, न ही कोई मुआवजा दिया गया। ऐसे में मकान व दुकान तोड़ना गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 300ए में स्पष्ट है कि किसी भी व्यक्ति को गैरकानूनी तरीके से उसकी संपत्ति से वर्जित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी संपत्ति के अधिकार को लेकर के कई आदेश दिए हैं किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से सिर्फ कानून के तहत ही वंचित किया जा सकता है। सिर्फ किसी प्रशासनिक आदेश, शासनादेश अथवा सर्कुलर के जरिए नहीं।