पशुधन प्रसार अधिकारी प्रकरण में कोर्ट की अपेक्षा, 30 अप्रैल तक जांच पूरी कर लेगी एसआईटी

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में पशुधन प्रसार अधिकारी पद की भर्ती घोटाले मामले लेकर दाखिल याचिका पर गठित विशेष जांच टीम (एसआइटी) ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया। एसआइटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि आरोपी अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करके विभागीय कार्रवाई की जा रही है। वहीं, कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया कि इतने दिन में एसआइटी की ओर से जांच पूरी नहीं की गई। मंगलवार को एसआइटी की ओर से जांच पूरी करने के लिए दो-तीन महीने का अतिरिक्त समय मांगा गया। कोर्ट ने अपेक्षा किया कि वह जांच 30 अप्रैल तक पूरी कर लेंगे।

दोषी अफसरों को दिया जा चुका आरोप पत्र

यह आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मो। अकरम व अन्य की याचिका पर दिया है। राज्य सरकार की तरफ से प्रमुख सचिव पशुधन विभाग का शपथ पत्र दाखिल किया गया। इसमें कहा गया कि दोषी अधिकारियों को निलंबित कर आरोप पत्र भी दिया जा चुका है, जिसमें कुछ अधिकारियों का जवाब भी आ चुका है। गौरतलब है कि पशुधन विभाग में 2014 में पशुधन प्रसार अधिकारी के पद पर भर्ती का विज्ञापन निकाला गया। इसमें लाखों अभ्यर्थी शामिल हुए। अंत में 1005 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई। नियुक्ति के बाद चयन प्रक्रिया में अनियमितता बरतने के आरोप में याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने इस मामले की जांच 2017 में एसआइटी से कराने का आदेश दिया।

एग्रीमेंट लेटर न देने की भी हो जांच

मामले के तथ्यों के अनुसार यह भी कहा गया कि परीक्षा में उत्तर पुस्तिका जांचने का एग्रीमेंट लेटर पूर्व निदेशक डॉ। रुद्र प्रताप के पास है जिसे उन्होंने देने से मना कर दिया है। यह भी एक जांच की विषय वस्तु है। 2014 में पशुधन प्रसार अधिकारी के विज्ञापित पद पर हुए चयन में धांधली व अनियमितता बरतने का आरोप था। यह आरोप पूर्व निदेशक डॉ। रुद्र प्रताप, संयुक्त निदेशक डॉ। पीके सिंह, अपर निदेशक फैजाबाद, अपर निदेशक फैजाबाद मंडल डॉ। जीएन सिंह, डॉ। चरण सिंह, फिरोज गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेटर मो। इशरत तथा गोरखपुर मंडल के अपर निदेशक डॉ। कृष्ण प्रताप सिंह के द्वारा मिलकर अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई एक मई को होगी।