रिटायर प्रिंसिपल के खिलाफ दिया था आदेश, 20 को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज देवबंद सहारनपुर के सेवानिवृत्त प्राचार्य के खिलाफ आदेश पारित करने के मामले में जिलाधिकारी सहारनपुर आलोक कुमार पांडेय को तलब किया है। जिलाधिकारी के जवाबी हलफनामे को संतोषजनक न मानते हुए कोर्ट ने उन्हें 20 फरवरी को हाजिर होने का आदेश दिया है।

डीएम ने मांगी आदेश वापस लेने की अनुमति

यह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी ने रिटायर हो चुके प्रिंसिपल अशोक कुमार शर्मा की याचिका पर दिया है। जिलाधिकारी ने 30 नवंबर 2019 को याची के खिलाफ पारित अपने आदेश को वापस लेने की अनुमति मांगी है। कोर्ट ने मंडलायुक्त को इस आदेश को सील कवर में रख कोर्ट मे पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसके पहले जिलाधिकारी को स्पष्ट करने के लिए कहा था कि यदि उनका आदेश उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है और शक्ति का बेजा इस्तेमाल पाया गया तो क्यों न उनके ऊपर भारी जुर्माना लगाया जाय? जिसकी वसूली उनके वेतन से क्यों न की जाय? इस पर जिलाधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर अपना आदेश वापस लेने का अनुरोध किया। याचिका पर पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभु राय का कहना है कि जिलाधिकारी सहारनपुर ने अपनी शक्तियों का बेजा इस्तेमाल कर सेवानिवृत्त प्राचार्य के खिलाफ आदेश पारित किया है। जबकि वह जांच में निर्दोष पाए गए थे। राज्यपाल ने उनको दोषमुक्त किया था।

नियुक्ति से जुड़ा हुआ है मामला

गौरतलब है कि 20 नवंबर 2006 को पीजी कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया। विपक्षी ने दिव्यांग कोटे में आवेदन किया था। लेकिन, उसकी नियुक्ति नहीं हो सकी। इस पर प्राचार्य के खिलाफ सरकार में भी शिकायत की गई। शिकायत पर जांच कमेटी गठित की गई। जांच के बाद राज्यपाल ने प्राचार्य को निर्दोष पाया। इसके बाद 2016 में नया कानून आने के बाद फिर शिकायत की गयी, जिलाधिकारी ने उस पर संज्ञान लेकर प्राचार्य के निर्दोष होने के बावजूद उनके खिलाफ आदेश पारित कर दिया।