हाईकोर्ट ने दिया सचिव बेसिक शिक्षा को कानून के पालन की मॉनिटरिंग का निर्देश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी किसी अध्यापक का वेतन नहीं रोक सकता। फिर भी ऐसे आदेशों के खिलाफ लगातार याचिकाएं दाखिल हो रही है। कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा उप्र व बेसिक शिक्षा परिषद को आदेश दिया है कि वह देखें कि कानून के विपरीत बीएसए अध्यापकों के वेतन भुगतान को अवैध रूप से न रोकें।

आरटीई में तय हैं बीएसए के कर्तव्य

कोर्ट ने कहा है कि अनिवार्य शिक्षा कानून की धारा 24 व नियम 19 का कड़ाई से पालन कराया जाए। इस धारा में अध्यापकों व बीएसए के कर्तव्य निर्धारित किया गया है। कोर्ट ने कानून का उल्लंघन करने वाले बीएसए व अध्यापकों की जवाबदेही तय करने का भी आदेश दिया है। सचिव को दो हफ्ते में निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सचिव बेसिक शिक्षा प्रदेश के सभी बीएसए से हर छह माह में अध्यापकों द्वारा कर्तव्य पालन की रिपोर्ट लेकर अनुपालन कराएं। साथ ही बीएसए व अध्यापकों के कार्य की मानीटरिंग करें और 18 दिसंबर को अनुपालन रिपोर्ट के साथ हलफनामा मांगा है।

किस कानून के तहत रोका वेतन

यह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी ने संतोष कुमार राय की याचिका पर दिया है। बीएसए आजमगढ़ ने कार्य में लापरवाही करने पर याची का वेतन रोक दिया। याची सहायक अध्यापक है। उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही नहीं की गयी। कोर्ट ने पूछा किस कानून से वेतन भुगतान रोका गया है। कहा गया कि पेनाल्टी के खिलाफ अपील का वैकल्पिक अधिकार प्राप्त है। फिलहाल वेतन रोकने का आदेश वापस ले लिया गया तो कोर्ट ने बच्चों के शिक्षा के अधिकार को कड़ाई से पालन कराने का निर्देश दिया है।