हाई कोर्ट ने नहीं माना फर्जी तौर पर फंसाने का तर्क

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया कोतवाली में दर्ज अपहरण व करोड़ों की सम्पत्ति का बैनामा कराने व फिरौती लेने के आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए दर्ज प्राथमिकी रद करने की मांग में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है।

लगाया था फर्जी फंसाने का आरोप

यह आदेश जस्टिस विपिन सिन्हा तथा महबूब अली की खण्डपीठ ने रामप्रवेश यादव की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि घटनास्थल पर अपहृत की बरामदगी के समय वह मौजूद नहीं था। उसे झूठा फंसाया गया है। सरकार की तरफ से कहा गया कि सम्पन्न परिवार के दीपक मणि उर्फ पीयूष मणि की मुखबिर की निशानदेही पर बरामदगी की गयी। पांच लोगों में से चार को मौके से गिरफ्तार किया गया। जिसमें से मुन्ना चौहान व अमित यादव याची के भाई हैं। ब्रह्मानन्द की पत्‍‌नी के नाम इस दौरान जमीन लिखायी गयी है। धर्मेन्द्र गौड़ याची का ड्राइवर है।

उपनिबंधक कार्यालय के लोग भी आरोपी

17 अप्रैल 18 को दर्ज अपहरण की प्राथमिकी से अपहृत की बरामदगी तक पांच बैनामे किये गये। याची की मां मेवाती देवी के नाम भी जमीन का बैनामा है। याची के नाम भी जमीन खरीदी गयी है। अपहृत 20 मार्च 18 से लापता हुआ और 7 मई 18 को बरामदगी हुई। इस दौरान अपहर्ताओं ने करोड़ों रुपये की सम्पत्ति खरीदी। उपनिबन्धक कार्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत से बैनामे हुए। मामले में उपनिबन्धक फूलचन्द्र यादव, रामसरन सिंह, सोमनाथ राव लिपिक व सुशील चिस्ती की गिरफ्तारी की जा चुकी है। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता व तथ्यों को देखते हुए दर्ज प्राथमिकी पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।