ग्रीन व ऑरेंज जोन की अधीनस्थ अदालतों में मुकदमों की होगी सुनवाई, गाइडलाइन जारी

रेड जोन की अदालतों में छूट नहीं, अतिआवश्यक मामलों का होगा निपटारा

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ग्रीन और आरेंज जोन के जिलों की अदालतों में काम-काज शुरू करने को लेकर नई गाइड लाइन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जारी कर दी है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि अदालतें तभी खोली जाएंगी जब पूरा प्रिमाइस सेनेटाइज कर दिया गया हो। सेनेटाइजेशन न होने की दशा में कोर्ट नहीं खुलेगी और रिपोर्ट हाई कोर्ट को भेजी जाएगी। नई गाइडलाइन 22 मई से लागू होगी। रेड जोन में अति आवश्यक मामले ही निपटाए जाएंगे।

थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधक अजय कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि कोर्ट परिसर में आने वाले हर व्यक्ति की थर्मल स्क्रीनिंग होगी। स्वास्थ्य खराब होने पर किसी को इंट्री नहीं मिलेगी। जिलों में कोरोना वायरस खतरे का प्रतिदिन आंकलन होगा। सोशल डिस्टेंसिक रूल का कड़ाई से पालन करना होगा। जिला अदालत कैंपस में किसी वादकारी को प्रवेश से नहीं रोका जाएगा। न्यायिक अधिकारी को अपनी अदालत में लोगों की उपस्थिति को नियंत्रित करने का अधिकार होगा।

रखी जाएगी सिर्फ चार कुर्सी

हर अदालत में सिर्फ चार कुर्सियां रखी जाएगी। अधिवक्ता के बहस के दौरान न्याय कक्ष में वादकारी का प्रवेश रोका जा सकता है। न्यायिक प्रक्रिया व व्यवस्था का बारे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

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बैंड लगाना अनिवार्य

कोर्ट में बहस के समय वकील के लिए सिर्फ बैंड लगाना अनिवार्य होगा

पुरुष वकील सफेद शर्ट, पैंट और बैंड पहन सकेंगे

महिला वकील सफेद साड़ी या सफेद शूट पहन सकती हैं

न्यायिक अधिकारी भी कोट व गाउन पहनकर नहीं आएंगे

अदालत में गवाही के सिवाय सिविल व अपराधिक मामले सुने जाएंगे

जरूरी मुकदमों को सुनवाई को प्राथमिकता दी जाएगी

जिला जज न्यूनतम स्टाफ बुलाएंगे और काम खत्म होने पर सभी कैंपस छोड़ देंगे

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खोले जाएंगे सेंट्रलाइज काउंटर

मुकदमों के दाखिले के लिए सेंट्रलाइज काउंटर खोले जाएंगे।

मुकदमे में त्रुटि की जानकारी दाखिले के दिन अधिवक्ता को दी जाएगी।

ई-कोर्ट एप पर मुकदमे की वाद सूची की जानकारी अपलोड होगी

ई-मेल पर जमानत, अग्रिम जमानत की अर्जी, अति आवश्यक मामले की अर्जी और लिखित बहस प्राप्त की जाएगी

मुकदमे की सुनवाई स्थगित होती है तो सामान्य तारीख दी जाएगी

रेड जोन की अदालतों में केवल सत्र न्यायाधीश, विशेष न्यायाधीश और सीजेएम की अदालत ही बैठेगी

दस फीसदी से कम के स्टाफ से न्यायिक कार्य किया जाएगा और रिमांड आदि वीडियो कांफ्रेंसिंग से निपटाए जाएंगे।