कोर्ट ने एसएसपी से मांगी जानकारी, सुनवाई 7 को

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के 43 जिलों में खाद्यान्न वितरण घोटाले के खुलासे के बाद इलाहाबाद के खुल्दाबाद थाने में दर्ज प्राथमिकी वैधता चुनौती याचिका पर सरकारी वकील से जानकारी मांगी है। जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी ने कोटेदारों की संलिप्तता के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करायी है। याचिका की सुनवाई 7 सितम्बर को होगी।

दो कोटेदारों ने दाखिल की याचिका

यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा तथा जस्टिस डीके सिंह की खण्डपीठ ने नितिन कुमार, शिवबरन सहित दो अन्य कोटेदारों की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पूर्व अपरमहाधिवक्ता कमल सिंह यादव व नवीन कुमार ने बहस की। याचीगण का कहना है कि उचित दर दुकानों में मशीनों के माध्यम से राशनकार्ड धारकों को आधार कार्ड आधारित बायोमैट्रिक पहचान तकनीकी के जरिये खाद्यान्न वितरण किया जाता है। खाद्य आयुक्त ने जुलाई 18 माह के डाटा का परीक्षण कराया तो 43 जिलों में हुए घोटाले का खुलासा हुआ। जिसकी जांच एसटीएफ कर रही है। आरोप है कि आधार डाटावेश में फेरबदल कर वस्तु वितरित की गयी। वास्तव में किसी को खाद्यान्न दिया ही नहीं गया और एक डाटा पर बार-बार वस्तु वितरित की गयी।

एसटीएफ कर रही है मामले की जांच

याची अधिवक्ता कहना है कि दर्ज प्राथमिकी में किसी कोटेदार या अधिकारी का नाम नहीं है। मामले की एसटीएफ जांच हो रही है। जांच पूरी होने तक प्राथमिकी दर्ज करना विधि विरुद्ध है। याचियों का कहना है कि खाद्य आपूर्ति अधिकारी व आपूर्ति निरीक्षक प्राइवेट आपरेटर के जरिये लॉक खोलते हैं। कोटेदारों से एक से 5 तारीख को हर महीने मशीन मंगा ली जाती है। ऐसे में हुए घोटाले में अधिकारियों मिलीभगत है और कोटेदारों को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई 7 सितम्बर को होगी।