-कोटवा सीएचसी लेवल वन, बेली हॉस्पिटल लेवल टू बने

-काल्विन हॉस्पिटल में आइसोलेशन वार्ड, सैंपल भेजने की व्यवस्था पर असमंजस

PRAYAGRAJ: कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ाई में अब सबसे अहम फेज आ चुका है। अब विदेश से आए लोगों के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों से यहां पहुंचे लोगों से पैदा होने खतरों से भी जूझना है। जिला प्रशासन ने इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। इस क्रम में प्रशासन की ओर से गुरुवार को कोटवा सीएचसी को लेवल वन सेंटर में बदल दिया गया है। यहां पर 60 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है, जिसमें सभी जरूरी इक्विपमेंट लगाए गए हैं। इसके अलावा बेली हॉस्पिटल को लेवल टू और एसआरएन हॉस्पिटल को टर्शरी सेंटर का बनाया गया है।

काल्विन हॉस्पिटल के आगे समस्या

सेकंड लेवल मरीज बेली हॉस्पिटल और फिर सीरियस मरीजों को एसआरएन हॉस्पिटल में एडमिट किया जाएगा। उधर काल्विन हॉस्पिटल में भी आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है लेकिन यहां पर एक समस्या है। सोर्सेज का कहना है कि इस हॉस्पिटल में सस्पेक्टेड मरीज का सैंपल भेजने की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में अगर कोई सस्पेक्टेड आता है तो उसका सैंपल कैसे केजीएमयू भिजवाया जाएगा, यह बड़ा सवाल है। बेली हॉस्पिटल से सैंपल खुद स्वास्थ्य विभाग लेकर भेजता है और एसआरएन हॉस्पिटल अपनी एंबुलेंस से सैंपल लखनफ भेजता है।

दस से बारह दिन में होगा क्लीयर

बस और ट्रेन बंद होने से पहले जो लोग अपने घर पहुंचे हैं उनकी निगरानी प्रशासन कर रहा है। लोगों से अपील की जा रही है ऐसे छिपे सदिग्धों की सूचना प्रशासन को दी जाए। जिससे उनको निगरानी में लिया जा सके। जिनके अंदर लक्षण हैं उनको घर पर ही इलाज दिया जा रहा है। उनका सैंपल पॉजिटिव आने पर भर्ती भी कराया जाना है। हालांकि अभी तक ऐसा कोई व्यक्ति सामने नहीं आया है। लेकिन लक्षण आने में अधिकतम 14 दिन निर्धारित हैं इसलिए प्रशासन कोई गलती नहीं करना चाहता है।

कोटवा सीएचसी को लेवल वन सेंटर बनाया गया है। संदिग्धों को निगरानी में लिया जा रहा है। सभी हॉस्पिटल अपने संसाधनों से सैंपल केजीएमयू भेज रहे हैं।

-डा। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ प्रयागराज