467 प्लेयर्स ने किया पार्टिसिपेट

18 मंडलों से आए थे हिस्सा लेने

06 से 12वीं के खिलाड़ी हुए शामिल

-खिलाडि़यों के लिए लंच और डिनर की नहीं थी कोई व्यवस्था

-आने-जाने तक का किराया तक नहीं मिला

vinay.ksingh@inext.co.in

PRAYAGRAJ: जब ओलंपिक में देश को मेडल नहीं मिलते तो जूनियर लेवल पर टैलेंट तलाशने की बात होती है। लेकिन प्रयागराज में खिलाडि़यों को खाली पेट ही स्टेट लेवल टूर्नामेंट खेलना पड़ा। ऐसे में भला क्या प्रदर्शन बेहतर होगा और क्या भविष्य संवरेगा? टूर्नामेंट खत्म होने के बाद सभी खिलाड़ी रविवार को वापस लौट गए। वापसी के दौरान दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने कुछ खिलाडि़यों से बातें की। इस दौरान खिलाडि़यों ने अपना दर्द बयां किया।

किराया तक नहीं मिला

रविवार को वापसी के वक्त जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने खिलाडि़यों से बात की तो उनके आंसू छलक पड़े। उन्होंने भर्राए गले से बताया कि यहां आने से पहले बताया गया था कि खाने के साथ-साथ आने-जाने के भी पैसे मिलेंगे। यहां आने के बाद पता चला कि खाने का इंतजाम खुद करना होगा। गौरतलब है कि मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय स्टेट लेवल एथलेटिक्स टूर्नामेंट में वाराणसी, कानपुर, आगरा, हापुड़, आजमगढ़ समेत कई जिलों से खिलाडि़यों ने हिस्सा लिया। यह खिलाड़ी शुक्रवार को मदन मोहन मालवीय स्टेडियम पहुंच गए थे। इन खिलाडि़यों में सब जूनियर वर्ग में क्लास 6 से 8 में 14 वर्ष तक, जूनियर वर्ग में कक्षा 9 से 10 में 17 वर्ष तक और सीनियर वर्ग में कक्षा 11 से 12 में 19 वर्ष तक के प्लेयर्स शामिल थे।

बिस्तर भी अपर्याप्त

दो दिवसीय टूर्नामेंट के दौरान अव्यवस्था का आलम यह था कि खिलाडि़यों रुकने तक का ढंग से इंतजाम नहीं किया गया था। जिन सरकारी स्कूलों में इन्हें रुकना था, वहां न तो बिजली की व्यवस्था और न ही पर्याप्त मात्रा में बिस्तर लगे थे। ऐसे में दो-दो, तीन-तीन खिलाडि़यों को एक ही बेड शेयर करना पड़ा।

पूरा दिन ट्रैवेल करके शुक्रवार को मदन मोहन मालवीय स्टेडियम पहुंचे। पता चला यहां खाने का कोई इंतजाम नहीं था। खाली पेट सोना पड़ा। सोने का गर्म कपड़ों की व्यवस्था न होने के चलते एक ही रजाई में तीन लोगों ने रात बितायी।

-अमित चाहर, आगरा

रात में भोजन नहीं मिला, उम्मीद थी कि अगले दिन भोजन मिलेगा, लेकिन नहीं मिला। फिर चाय और दो ब्रेड खाकर काम चलाना पड़ा। सही से भोजन न करने की वजह से खेल भी ठीक से नहीं खेल पाया। अगर इस व्यवस्था के बारे में पहले से बता दिया जाता तो तैयारी से आते।

-फुरकान, हापुड़

पूर्व के अनुभवों से सीख लेते हुए आया था। अपनी व्यवस्था साथ लेकर आया था। इस कारण ज्यादा परेशानी नहीं हुई, लेकिन नये प्लेयर्स के लिए काफी प्रॉब्लम हुई होगी। कोच को लाने से पहले इस सभी प्वाइंट को क्लियर करना चाहिये। ताकि किसी को भूखे पेट न सोना पड़े।

-अजय तिवारी ,आजमगढ़

रूम में लाइट और बिस्तर की उचित व्यवस्था नहीं थी। वहां मात्र गद्दे ही मिले। हालांकि रात के लिए गर्म कपड़े साथ लेकर आया था नहीं तो ठिठुरते हुए सोना पड़ता। हम लोगों को लगता हैं कि अगर ज्यादा बोलेंगे तो कही नंबर या मेडल तक न रोक दें।

-अर्पित यादव, आजमगढ़