-कोरेंटाइन किए गए लोगों की होगी काउंसिलिंग

-लगातार मिल रही शिकायतों पर सरकार ने दिया आदेश

-डॉक्टर्स की टीम करेगी दौरा, नशामुक्ति को लेकर मिलेगा टिप्स

PRAYAGRAJ: कोरोना को लेकर लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में लोग अपने-अपने घरों की तरफ भागे। कोई पैदल तो कोई ठेला चलाकर अपने गांव तो पहुंच गया। लेकिन यह लोग अपने घर नहीं जा सके। बाहर से आने पर बीमारी की आशंका के चलते इन लोगों को गांव के बाहर स्कूलों-धर्मशालाओं में कोरेंटाइन किया गया। 14 दिन उन्हें परिवार से अलग रहना है। चाहकर भी वह नहीं मिल सकते हैं। ऐसा करते हैं तो उन्हें सजा भुगतनी होगी। ऐसे में लगातार मानसिक स्थिति खराब होने की शिकायतें सरकार मिलने लगी थीं। सिचुएशन को देखते हुए ऐसे लोगों की काउंसिलिंग कराने के आदेश दिए गए हैं। प्रयागराज में भी ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है।

सुप्रीम कोर्ट भी है गंभीर

शेल्टर होम्स में रखे गए प्रवासी मजदूरों और कामगारों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गंभीर है। कोर्ट ने सरकार से अपेक्षा की है कि वह सुनिश्चि करे कि लॉकडाउन के दौरान समस्त शेल्टर होम्स में आमजन को किसी तरह का मानसिक तनाव का सामना न करना पड़े। इस संबंध में जिला स्वास्थ्य विभाग को शुक्रवार को स्पष्ट निर्देश दिया गया है। इसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान शेल्टर होम्स या आश्रय स्थलों में रह रहे प्रवासी मजदूरों को मानसिक रूप से स्वस्थ्य रखने के लिए समय-समय पर काऊंसिलिंग करें। इसके लिए जिले में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत तैनात साइकियाट्रिस्ट, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिक सोशल वर्कर की हेल्प ली जाएगी।

इन पर होगा फोकस

-राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, एनपीसीडीसीएस कार्यक्रम या अन्य कार्यक्रम में तैनात क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, काउंसलर्स और साइकोलाजिस्ट का सहारा लिया जाए।

-जो लोग तंबाकू या शराब का सेवन करते हैं उनको शेल्टर होम में नशामुक्ति के लिए प्रेरित किया जाए।

-कोरेंटाइन में रह रहे लोगों के अंदर डर, चिंता, आशंकाएं, तनाव, उदासी, बेचैनी आदि का निदान किया जाएगा।

-इन लोगों के अंदर अभिप्रेरणा, आत्मविश्वास, सकारात्मकता संयम आदि गुणों का संचार किया जाएगा।

-इसके लिए नैदानिक मनोवैज्ञानिक इशान्या राज के नेतत्व में एक टीम का गठन किया गया है।

-यह टीम विभिन्न शेल्टर्स में रह रहे लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रेरित करेगी।

-इस दौरान मानसिक विकास में उनका पूर्ण सहयोग किया जाएगा।

सरकार चाहती है कि जो लोग कोरेंटाइन में हैं उनके शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य का खयाल रखा जाए। ऐसे लोगों को डिप्रेशन या अवसाद में जाने से रोकने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसके लिए टीम का गठन किया गया है

-डॉ। वीके मिश्रा,

नोडल, एनसीडी सेल स्वास्थ्य विभाग