व‌र्ल्ड नो टुबैको डे स्पेशल

-एक्टिव के साथ पैसिव स्मोकिंग भी है लोगों की मौत की जिम्मेदार

PRAYAGRAJ: अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं तो कोरोना का खतरा आपके लिए कई गुना कम हो सकता है। आप कोरोना की चपेट में आ भी गए तो रिकवरी जल्द होगी। क्योंकि कोरोना से लडना है तो फेफड़ों का मजबूत होना जरूरी है। ऐसा तभी होगा जब जीवन तंबाकू रहित हो। इसलिए धूम्रपान करने वालों में कोरोना संक्रमण की संभावना अधिक मानी जाती है। वहीं दुनियाभर में बढ़ते फेफड़ों के कैंसर के मामलों के पीछे धूम्रपान एक बड़ी वजह है। हर साल पूरी दुनिया में 80 लाख लोगों की मौत तंबाकू से होती है।

सीओपीडी का मेन रीजन स्मोकिंग

सीओपीडी जैसी फेफड़े की बीमारी का मेन रीजन स्मोकिंग है। इसमें फेफड़ों में मवाद जमा हो जाता है। दर्द, खांसी और सांस में तकलीफ बनी रहती है। जो लोग कम उम्र में स्मोकिंग शुरू कर देते हैं, उनके फेफड़ों का डेवलपमेंट कम हो जाता है। दमा के रोगी तंबाकू का सेवन करते हैं तो दौरे पड़ने की संभावना रहती है। नशा छोड़ देने से सांस की बीमारियां ठीक होने लगती हैं। लक्षण भी कम हो जाते हैं।

बच्चों पर पड़ता है विपरीत असर

जिन घरों में महिलाएं धूम्रपान करती हैं या पुरुष तंबाकू का सेवन करते हैं। वहां पर बच्चों पर इसका परोक्ष असर पड़ता है। ऐसे बच्चों को फेफड़ों की बीमारियां दमा, निमोनिया, ब्रोकांइटिस होने का खतरा बना रहता है। दुनियाभर में पैसिव स्मोकिंग से पांच साल से कम उम्र के 1.65 लाख बच्चों की मौत हर साल हो जाती है। बता दें कि तंबाकू में सात हजार रासायनिक पदार्थ होते हैं। इसमें से 69 पदार्थो से कैंसर होने की संभावना होती है।

फेसबुक लाइव के जरिए किया अवेयर

कोरोना संक्रमण के दौर में लोग तंबाकू की आदत को लेकर जागरुक हो रहे हैं। वह किसी भी हाल में इससे दूरी बनाना चाहते हैं। यही कारण है कि व‌र्ल्ड नो टुबैको डे के मौके पर लोगों ने तंबाकू से दूरी बनाने के तरीकंों पर जमकर चर्चा की। इसका गवाह एनसीडी सेल का फेसबुक लाइव पेज रहा। जिस पर एक हजार से अधिक लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। लोगों ने तंबाकू से दूरी बनाने के लिए अपने व्यू भी दिए। रविवार को व‌र्ल्ड नो टुबैको डे पर पेज पर एक हजार लोगों ने दस्तक दी। किसी ने आपबीती सुनाई तो किसी ने कविता व कहानियों के जरिए तंबाकू से दूरी बनाने की राय दी।

हर साल लाखों की मौत तंबाकू की वजह से होती है। इस पर रोक लगाने के लिए धूम्रपान से दूरी जरूरी है। अगर तंबाकू छोड़ दिया जाए तो दमा और सीओपीडी के लक्षणों में कमी आने लगती है और मरीज स्वस्थ हो सकता है।

-डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट फिजीशियन

फेसबुक पेज के जरिए लोगों को नो टुबैको डे पर जागरुक किया गया। इस दौरान एक हजार लोगों ने पेज पर दस्तक दी। उन्होंने तंबाकू से दूरी बनाने की मुहिम में अपना अहम योगदान भी दिया।

डॉ। वीके मिश्रा, नोडल एनसीडी सेल प्रयागराज