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हजार के करीब अधिवक्ता हैं जिला कचहरी में

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हजार अधिवक्ता जिला अधिवक्ता संघ के मेंबर हैं

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रास्ते हैं कचहरी परिसर के अंदर पहुंचने के लिए

-कचहरी में किसी भी गेट पर अंदर जाने वालों की आज तक नहीं शुरू हुई चेकिंग

-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में बदतर मिले सुरक्षा के हालात

PRAYAGRAJ: जब भी कहीं कचहरी में बमबाजी जैसी घटनाएं होती हैं, जिले के वकीलों की सुरक्षा का मसला जेहन में आ ही जाता है। लखनऊ में हुई घटना के बाद एक बार फिर यहां जिला कचहरी में सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने शुक्रवार को कचहरी में रियलिटी चेक किया। इस दौरान सुरक्षा के हालात चौंकाने वाले मिले।

पार्किंग जोन बन गया है परिसर

जिला कचहरी तक पहुंचने के लिए रास्तों की तलाश में रिपोर्टर ने पूरी कचहरी की परिक्रमा कर डाली। पता चला कि अंदर पहुंचने के कुल छह रास्ते हैं। पहला रास्ता तो ठीक विकास भवन के सामने से ही है। थोड़ा आगे तिराहा कटरा चौकी रोड है। इस रोड पर एक गेट कलेक्ट्रेट का है। इस गेट से भी कचहरी परिसर के अंदर आराम से जाया जा सकता है। ठीक पंद्रह कदम आगे कचहरी जिला अधिवक्ता संघ इलाहाबाद का गेट है। रिपोर्टर इस गेट से कचहरी परिसर में दाखिल हुआ। पंद्रह-बीस कदम चलने पर चारों तरफ अधिवक्ताओं के चेंबर नजर आए। बीच में दर्जनों बाइक ऐसे खड़ी थीं, मानों वाहन स्टैंड हो।

डिग्री व थैले में क्या, भगवान जानें

आगे बढ़ते हुए रिपोर्टर हनुमान मंदिर जा पहुंचा। उसके आगे गली-कूचे का रास्ता अख्तियार करते हुए कचहरी लॉकअप गेट पर जा पहुंचा। इस गेट पर कुछ पुलिस के जवान कुर्सी लगाकर बैठे हुए थे। मगर, आने जाने वालों के बैग व थैले में क्या है, इसे चेक करना कोई मुनासिब नहीं समझ रहा था। अंदर ही अंदर रिपोर्ट जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष की सीट तक जा पहुंचा। अध्यक्ष से कचहरी में सिक्योरिटी प्वॉइंट्स पर बात की। इसके बाद रिपोर्टर लौटा और कचहरी की बिल्डिंग के सामने तिराहे पर पहुंच गया। इस तिराहे से सीधे एक रास्ता कलेक्ट्रेट की तरफ जाता है। रिपोर्टर आगे बढ़ा तो कलक्ट्रेट एडीएम सिटी कार्यालय के सामने से रोड पर जा निकला। रोड से होते हुए फिर रिपोर्टर जिला कचहरी की नई बिल्डिंग के गेट पर जा पहुंचा। करीब एक घंटे तक रिपोर्टर ने अलग-अलग गेट से कचहरी कैंपस में एंट्री की, लेकिन एक भी जगह किसी ने रोकने-टोकने की जहमत नहीं उठाई।

यहां मिले ऐसे हालात

-परिसर के अंदर न्यायालय बिल्डिंग के अंदर प्रवेश के लिए आगे और पीछे से दो रास्ते हैं।

-दोनों ही रास्तों पर मशीनें लगी हुई हैं। इसके अंदर से होकर ही कोई न्यायालय में प्रवेश कर सकता है।

-बिल्डिंग के मेन गेट की सीढि़यों से सटाकर भी खड़ी बाइकें नजर आई, गेट पर लगेज चेक के लिए मशीन लगी है।

-यहां पुलिस के जवान प्रॉपर लगेज की चेकिंग करते हुए नजर आए, यह व्यवस्था तो ठीक रही।

-लेकिन परिसर में प्रवेश के वक्त कौन क्या लेकर जा रहा है, किसी भी गेट पर इस बात की चेकिंग दिखाई नहीं दी

जब तक पार्किंग की व्यवस्था नहीं होगी सुरक्षा के इंतजाम दुरुस्त नहीं हो सकते। हाईकोर्ट ने सुरक्षा के इंतजाम पूरे करने के लिए 15 मार्च तक के समय दिए गए हैं। मेरे द्वारा सुरक्षा को लेकर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

-हरिसागर मिश्र, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ

एडवोकेट प्रोटक्शन एक्ट की मांग लगातार की जा रही है। इस एक्ट के लागू हो जाने से सारी समस्या स्वयं समाप्त हो जाएगी। अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर जिले स्तर पर अधिकारी तनिक भी गंभीर नहीं हैं।

-पंकज कुमार त्रिपाठी, अधिवक्ता, पूर्व बार कौंसिल सदस्य प्रत्याशी

अलग-अलग जिलों में तमाम जगहों पर हमले आदि की घटनाएं सुनने को मिलती रहती हैं। इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि स्थिति यही तो कभी भी कोई बड़ी घटना यहां हो सकती है। सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

-विजय कुमार सिंह, अधिवक्ता

कुछ माह पूर्व सुनने में आया था कि गेट पर अधिकारी चेकिंग करवाएंगे। इसके लिए बैठकें भी हुई थीं। वक्त बीता, अधिकारियों के साथ अधिवक्ता भी यह बात भूल गए। गेट के अंदर सघन चेकिंग तो होनी ही चाहिए।

-विवेक कुमार सरोज, अधिवक्ता