'ला नीना' लौटाएगा किसानो के चेहरे की रौनक

- 'अल नीना' का प्रभाव पड़ रहा है कमजोर

- एक्सपटर््स का दावा, गर्मी ने सही समय पर लिया स्टार्ट, समय पर आएगा प्री मानसून

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD:

लगातार तीन साल से मौसम की मार झेल रहे किसानों के बुरे दिन खत्म होने वाले हैं। - 'अल नीना' का प्रभाव कमजोर पड़ रहा है। जबकि 'ला नीना' किसानों के चेहरे की रौनक लौटाने के लिए बेकरार है। एक्सपटर््स का दावा है कि मैदान जितना तपेगा, मानसून उतना बेहतर होगा। गर्मी ने सही समय पर स्टार्ट लिया है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार प्री मानसून सही समय पर दस्तक देगा।

यूं ही बना रहे गर्मी का मिजाज

मौसम के बदलते मिजाज से मौसम विज्ञानी भी उत्साहित नजर आ रहे हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के एक्स। एचओडी एवं मौसम विज्ञानी प्रो। सविन्द्र सिंह कहते हैं कि बेहतर है कि गर्मी का मिजाज यूं ही बना रहे। 40 से ऊपर का टेम्परेचर मई के अंत तक बना रहा तो यह अच्छे मानसून के लिए सहायक होगा।

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पक्षुआ विक्षोभ से घिर आए बदरा

इविवि में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के एक्स। एचओडी प्रो। बीएन मिश्रा कहते हैं कि मैदानी इलाका जितने लम्बे समय तक तपेगा। उतना ही बेहतर मानसून होगा। गर्मी ने सही समय पर स्टार्ट लिया है। उम्मीद की जा रही है कि प्री मानसून 20 जून तक आ जाएगा। लास्ट इयर मानसूनी बरसात की शुरुआत 10 जुलाई के आसपास शुरु हो पाई थी। प्रो। बीएन मिश्र ने कहा कि लोगों के लिए बीच-बीच में आने वाला पक्षुआ विक्षोभ राहत लेकर आएगा।

तीन वर्षो तक रही सूखे की स्थिति

इविवि में आटोमेटिक वेदर सेंटर के डॉ। शैलेन्द्र मिश्र कहते हैं कि वर्ष 2013, 2014 एवं 2015 में लगातार अल नीनो की स्थिति रही। जिससे मानसून प्रभावित रहा। इससे देशभर में कृषि का उत्पादन प्रभावित रहा। इलाहाबाद समेत पूरे ईस्ट यूपी में भी सूखे जैसे हालात रहे। वर्ष 1997 से अब तक की बात करें तो 2015 का अल नीनो सबसे प्रभावी रहा है। डॉ। शैलेन्द्र का कहना है कि वर्ष 2016 में अल नीनो के उलट ला नीना की स्थिति बनती नजर आ रही है।

क्या है ला नीना

ला नीना एल नीनो से ठीक विपरीत प्रभाव रखती है। पश्चिमी प्रशांत महासागर में अल नीनो द्वारा पैदा किए गये सूखे की स्थिति को ला नीना बदल देती है। यह आर्द्र मौसम को जन्म देती है। ला नीना के आविर्भाव के साथ पश्चिमी प्रशांत महासागर के ऊष्ण कटिबंधीय भाग में तापमान में वृद्धि होने से व वाष्पीकरण अधिक होने से इंडोनेशिया एवं समीपवर्ती भागों में सामान्य से अधिक वर्षा होती है। ला नीना परिघटना कई बार दुनिया भर में बाढ़ की सामान्य वजह बन जाती है।

ये है अल नीनो

अल नीनो गर्म जलधारा है। जिसके आगमन पर सागरीय जल का तापमान सामान्य से कहीं अधिक हो जाता है। पेरु के तट के पास जल ठंडा होता है। अल नीनो के दौरान हवाएं मध्य एवं पश्चिमी प्रशांत महासागर में शांत होती हैं। अल नीनो प्रभाव विश्वव्यापी मौसम के विनाशकारी व्यवधानों के लिए जिम्मेदार है.परिणामस्वरुप विश्व के ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वर्षा और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्यादा वर्षा होने लगती है।