2019

के नवंबर में लागू किये गये थे ट्रैफिक रूल्स तोड़ने पर जुमाने के नए प्रावीजन

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गाडि़यों का चालान प्रदूषण न होने पर जुलाई 2019 में हुआ

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गाडि़यों का चालान प्रदूषण न होने पर अगस्त 2019 में किया गया

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गाडि़यों का चालान प्रदूषण न होने पर सितंबर 2019 में हुआ

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गाडि़यों का चालान प्रदूषण न होने पर अक्टूबर 2019 में हुआ

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गाडि़यों का चालान प्रदूषण न होने पर नवंबर 2019 में हुआ

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गाडि़यों का चालान प्रदूषण न होने पर पिछले वर्ष दिसंबर में हुआ

फिजा में जहर घोल रहे वाहनों की चेकिंग को लेकर ट्रैफिक पुलिस गंभीर नहीं

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में बंद मिले ज्यादातर वाहन प्रदूषण जांच केंद्र

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

सरकार ने रूल्स तोड़ने वालों पर हेवी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया था। शुरुआत दिन भी तो सख्ती थी। नियमों का उल्लंघन करने वालों के घर जुर्माने का बिल पहुंचा तो पैरों तले से जमीन खिसक गयी। डर ने घर जमाया तो पब्लिक प्रदूषण जांच केन्द्रों पर एडवांस बुकिंग कराकर पहुंचने लगी। पूरा दिन लाइन में लगकर बिताने लगी। सिर्फ दो महीने के भीतर पूरे अभियान की या तो हवा निकल गयी है या फिर सड़कों पर दौड़ने वाला कोई भी वाहन प्रदूषण नहीं फैला रहा है। इन दोनों में से कोई एक तो सच है ही। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने बुधवार को प्रदूषण जांच केन्द्रों का रियलिटी चेक करने के साथ ट्रैफिक डिपार्टमेंट से डाटा निकालकर क्रास चेक किया तो यही हकीकत सामने आयी।

जांच कराने वाले कम तो रेट हाई

रिपोर्टर प्रदूषण चेकिंग के लिए जगह- जगह बनाए गए जांच व प्रमाण पत्र बनाने के हब की तलाश में निकला। म्योहाल चौराहे से लेकर धोबी घाट और बालसन चौराहे तक पर यह व्यवस्था ठप मिली। सिर्फ म्योराबाद चौराहे के आगे पेट्रोल पम्प पर ही वाहन प्रदूषण जांच केंद्र चलता मिला। केंद्र में बैठे युवक से रिपोर्टर ने बात की पता चला कि बाइक के 80 और कार के प्रदूषण जांच का शुल्क 100 रुपये लगेंगे। रिपोर्टर ने सवाल कि किया कि नवंबर में तो यह रेट बाइक का 50 और कार के 70 रुपये ही थे। जवाब मिला कि एक तो कोई प्रदूषण जांच करवाने के लिए आता नहीं। विभाग से फ्रेंचाइजी ले रखी है, दिन भर इंतजार के बाद तीन चार ग्राहक आए भी तो क्या होता है। ऐसे में यदि कुछ पैसे ज्यादा लिए जा रहे हैं तो क्या गुनाह है।

डरा रहा है चालान का डाटा

केंद्र संचालन की मानें तो रिपोर्ट बनवाने के लिए लोग नहीं आ रहे। मतलब यह कि शहर में गाडि़यों खास कर प्रदूषण की चेकिंग नहीं की जा रही। यदि ट्रैफिक पुलिस के लोग चेकिंग करते तो केंद्र संचालक के पास रिपोर्ट बनवाने वालों की कम से कम दस बीस गाडि़यां तो रोज पहुंचती हीं। पिछले छह माह में गाडि़यों के चालान का डाटा भी प्रदूषण को लेकर अफसरों की गंभीरता पर सवाल उठा रहा है।

तो यहां बिन जांच बन जाती है रिपोर्ट

रिपोर्टर ने म्योराबाद केंद्र संचालक से सवाल किया कि क्या बगैर गाड़ी चेक कराए रिपोर्ट बना दोगे।

जवाब दिया गाड़ी तो लानी पड़ेगी। सिस्टम खुद सब रीड करता है।

यदि ऐसे ही रिपोर्ट चाहिए तो आरटीओ कार्यालय चले जाइए।

आने वाले कुछ कस्टमर बताते हैं कि आरटीओ कार्यालय में बगैर जांच के रिपोर्ट बन जाती है

पूछने पर वह बताया कि वहां मेरा कोई नहीं है।

बाहर तमाम दलाल घूमते रहते हैं, उनसे सम्पर्क कर लेंगे तो वह स्वयं सब करवा देंगे।

ट्रैफिक का चार्ज हमें अभी कुछ महीने पहले मिला है। वाहन प्रदूषण जांच केंद्र कहां खोले गए थे और कहां बंद है यह जानकारी नहीं है। यदि ऐसी व्यवस्था थी और बंद पड़े हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। गाडि़यों की चेकिंग बराबर करवाई जा रही है। प्रदूषण चालान कम क्यों हैं हो रहे इस बाबत पूछताछ की जाएगी।

रत्‍‌नेश सिंह, प्रभारी सीओ ट्रैफिक