'कारवां' पत्रिका ने फ़रवरी 2007 के समझौता एक्सप्रेस धमाकों के अभियुक्त स्वामी असीमानंद के इंटरव्यू के आधार पर ये आरोप लगाए हैं. पत्रिका के मुताबिक असीमानंद वर्ष 2005 में गुजरात में आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व से मिले थे और वहां उन्होंने मुसलमानों को निशाना बनाने की अपनी योजना की जानकारी उनसे बाँटी थी.

मीडिया में इन आरोपों पर आधारित ख़बरें छपने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में जैसे भूचाल आ गया है.

जहाँ कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने जाँच कर इस मामले की तह तक पहुँचने की बात की है वहीं भाजपा ने इस पूरे प्रकरण को आगामी चुनावों से पहले, राजनीति से प्रेरित बताया है.

समझौता एक्सप्रेस धमाका

"'कारवां' जिस बैठक की बात कर रहा है, उस पर स्वामी असीमानंद के वकील ने स्पष्ट कहा है कि ऐसी मुलाकात कभी हुई ही नहीं है. स्वामी असीमानंद जेल में हैं तो फिर उनसे मुलाकात कैसे हुई. ऐसे किसी भी मामले से आरएसएस के किसी भी नेता का संबंध नहीं रहा है."

असीमानंद को 2010 में गिरफ़्तार किया गया था. उन पर वर्ष 2006 से 2008 के बीच भारत में कई जगहों पर हुए बम धमाकों को अंजाम देने से संबंधित होने का आरोप लगा है. समझौता एक्सप्रेस धमाकों में लगभग 70 लोग मारे गए थे और इनमें से कई पाकिस्तानी नागरिक थे.

'कारवां' पत्रिका ने समझौता धमाकों के अभियुक्त स्वामी असीमानंद से चार इंटरव्यू करके ख़बर छापने का दावा किया है.

उधर संघ के प्रवक्ता राम माधव ने मीडिया से कहा, "'कारवां' जिस बैठक की बात कर रहा है, उस पर स्वामी असीमानंद के वकील ने स्पष्ट कहा है कि ऐसी मुलाकात कभी हुई ही नहीं है. स्वामी असीमानंद जेल में हैं तो फिर उनसे मुलाकात कैसे हुई. ऐसे किसी भी मामले से  आरएसएस के किसी भी नेता का संबंध नहीं रहा है."

संघ के नेता एमजी वैद्य ने भी  इन आरोपों को मनगढ़ंत बताया है. उन्होंने कहा है, “ये सरासर झूठ है क्योंकि आरएसएस ऐसा काम नहीं कर सकता और न ही संघ ने कभी ऐसा किया है. संघ किसी को बम फोड़ने के लिए नहीं कहता. उसका काम चरित्र निर्माण है. उसका आतंक से कोई संबंध नहीं है.”

समझौता धमाकों के अभियुक्त स्वामी असीमानंद के वकील जेएस राणा का कहना है, "कारवां पत्रिका की कहानी झूठी और निराधार है और गढ़ी हुई है. स्वामी असीमानंद ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया है कि साल 2005 में या इसके बाद आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व से कोई मुलाकात हुई थी.

मनगढ़ंत मामला

"ये पूरा मामला मनगढ़ंत है. यह सब कांग्रेस के डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट (शरारत करने वाला विभाग) की साज़िश है. हम इसे उसी रूप में देख रहे हैं."

-रविशंकर प्रसादः भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता

भारत के विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने मीडिया से कहा, “ये बहुत ही गंभीर आरोप हैं और इस पूरे मामले का जो भी सच है वह राष्ट्रहित में पूरे देश के सामने आना चाहिए.”

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कहा, “यह गंभीर मामला है और इसकी केंद्रीय जाँच ब्यूरो के ज़रिए जाँच होनी चाहिए. केंद्र सरकार को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. सबूत सामने आने पर सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए."

शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, "चुनावी माहौल गरमा गया है. कांग्रेस और उसकी जाँच एजेंसियों किसी भी हद तक जाकर दबाव डालती हैं. ये बयान उसी दबाव का नतीज़ा है."

दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस की सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “ये पूरा मामला मनगढ़ंत है और ये कांग्रेस के डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट (शरारत करने का विभाग) की साज़िश है और हम इसे उसी रूप में देख रहे हैं."

'कारवां' पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट को सही ठहराया है और कहा है कि उसके पास पूरी इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग मौजूद है.

कारवां की रिपोर्ट के बाद अंबाला जेल प्रशासन ने भी पूरे मामले की जाँच का आदेश दिया है ताकि पता चल पाए कि अंबाला जेल में बंद असीमानंद से बातचीत कैसे हुई.

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