तीसरे दिन संपन्न हुई निगम की बोर्ड बैठक, कई अहम प्रस्तावों पर लगी मोहर

वकीलों का पैनल भी निरस्त, नए पैनल के गठन का आदेश जारी

Meerut। लगातार तीन दिनों तक विकास के मुद्दों पर मंथन के बाद रविवार को आखिरकार निगम की बोर्ड बैठक में विकास के प्रस्तावों पर मोहर लग गई। इस दौरान लगातार तीन दिन तक चली बोर्ड बैठक में पार्षद और निगम के आला अधिकारियों के बीच स्थिति विवाद होने के साथी ही नौबत धक्का-मुक्की तक भी पहुंच गई थी। दरअसल, निगम के स्टेनो के पद पर तैनात रामलाल के पुत्र के निधन के बाद शनिवार को स्थगित हुई बोर्ड बैठक रविवार को दोबारा शुरु हुई। इस दौरान जहां विभिन्न मामलों पर पार्षद, निगम अधिकारियों को घेरते दिखाई दिए, वहीं सर्व सहमति से कई प्रस्ताव भी पास हुए।

भ्रष्टाचार की हो जांच

रविवार को बैठक की शुरुआत भाजपा पार्षद ललित नागदेव ने निगम की भूमि पर किराए को लेकर की। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों से निगम ने दुकानों और भवनों आदि का किराया नहीं बढ़ाया हैं। जिससे निगम को आर्थिक हानि झेलनी पड़ रही है। इस दौरान बसपा पार्षद अब्दुल गफ्फार ने कहा कि निगम की संपत्ति निगम कर्मचारियों को ही क्यों आवंटित की जा रही हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए। बोर्ड बैठक के दौरान अधिकांश पार्षदों ने संपत्ति विभाग पर अवैध निर्माण, होर्डिग्स और किराये के मामलों में मिलीभगत का आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग की।

करोड़ों का घोटाला

इस दौरान पार्षद धर्मवीर ने बताया कि निगम की करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन आचार संहिता के दौरान संपत्ति अधिकारी राजेश कुमार ने करोड़ों रुपये का घोटाला किया हैं। जिसमें जीमखाना मैदान की जमीन, नौचंदी मैदान का हिस्सा, घंटाघर पर पूर्व में रहे पाल होटल को दुकानों में तब्दील करने के साथ मलियाना में 16 हजार वर्ग मीटर भूमि का भूमाफियाओं द्वारा कब्जा करना-घोटाले की तरफ इशारा करता है। वहीं इकरामुद्दीन बालियान ने आरोप लगाते हुए बताया कि अब्दुल्लापुर गंगा सिटी कालोनी में सरकारी जमीन को संपत्ति अधिकारी ने बिल्डर को बेच दिया, जो उस जमीन पर प्लाट काटकर बेच रहा हैं।

बीओटी के ठेके हुए निरस्त

इसके अलावा बैठक में अवैध होर्डिग का मामला भी जोर-शोर से उठा। जिस पर पार्षदों की सहमति से शहर के सभी यूनिपोल व होर्डिगों को खत्म करने का प्रस्ताव पास किया गया। साथ ही तेल माफिया ज्ञानेंद्र चौधरी के पंपों से तेल लेने पर रोक लगा दी गई। पार्षदों की मांग पर मेयर सुनीता वर्मा ने सभी बीओटी के ठेके निरस्त करते हुए जांच कमेटी का आदेश दिया।

संपत्ति की भी हो जांच

भू-माफिया को जमीन बेचने के बाद जब मामले में घिरे संपत्ति अधिकारी राजेश कुमार और चीफ इंजीनियर के बीच भरे सदन में जमकर बहस हो गई। पार्षद विपिन जिंदल ने आरोप लगाते हुए बताया कि शहरभर में अवैध होर्डिग की भरमार हैं, संपत्ति अधिकारी होर्डिग माफिया के साथ निगम की आय को खुद खा रहे हैं। जबकि महापौर ने भी संपत्ति अधिकारी पर शहर के 21 तालाबों व नंगलाताशी की जमीन पर भूमाफिया द्वारा अवैध कब्जा कराने का आरोप लगाया। वहीं पार्षदों ने संपत्ति अधिकारी की संपत्ति की जांच करने की मांग भी की।

खजाना कैसे खाली

बैठक में सपा से वार्ड-89 की पार्षद नाजरीन शाहिद ने हाउस टैक्स विभाग के अधिकारियों से पूछा कि जब वित्तीय वर्ष में पांच सौ करोड़ की आय हुई हैं तो फिर निगम का खजाना विकास कार्यो के लिए खाली कैसे हैं। इस पर मेयर ने अवैध पार्किंग, चारा घोटाला, होर्डिग, गौशाला आदि के मामलों में जांच बैठा दी। वहीं निगम के वकीलों के पैनल को भी निरस्त करते हुए नए पैनल के गठन का आदेश जारी किया गया। मेयर ने बताया कि निगम के वकीलों ने आज तक निगम को एक भी केस नहीं जितवाया है।