- चौक में प्रचार सामग्री की डिमांड घटने से व्यापारियों को भारी नुकसान

- गठबंधन के कारण तैयार कराई गई पुरानी प्रचार सामग्री हो गई बेकार

kanpur : चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद से प्रत्याशियों के बीच वोटर्स को लुभाने के लिए जंग छिड़ चुकी है. इस जंग को भुनाने का मुख्य काम हमेशा से पार्टियों की प्रचार सामग्री करती आई है. लेकिन, इस बार जहां हर चुनाव में बदल रहे गठबंधन ने वोटर्स को कनफ्यूज किया है, तो वहीं दूसरी ओर प्रचार सामग्री बेचने वालों की भी नैय्या डुबोने का काम किया है. बनते बिगड़ते गठबंधन के बीच दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने प्रचार सामग्री की मेन मार्केट चौक पहुंच कर प्रचार सामग्री के व्यापार का जायजा लिया.

मार्केट में पसरा सन्नाटा

चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का, प्रचार सामग्री बेचने वालों के लिए ये किसी पर्व से कम नहीं होता है. लेकिन, इस बार माहौल कुछ उलट ही देखने को मिल रहा है. चौक स्थित चुनाव प्रचार सामग्री की बड़ी मार्केट में लगभग सभी दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ दिखाई दिया. इतना ही नहीं, जहां चुनाव आते ही दुकानों और कारखानों में प्रचार सामग्री के ढेर लग जाते थे, आज वहां गिनती का माल ही दिखा. दुकानदारों के चेहरों पर मायूसी लेकिन नामांकन के बाद धंधा बढ़ने की कुछ उम्मीद दिख्ाई दी.

मार्केट में 50 परसेंट डाउनफाल

दुकानदारों से बातचीत करने पर पता चला कि वोटिंग के वक्त जहां प्रचार सामग्री का बिजनेस 100 परसेंट प्रॉफिट देकर जाता था, वहीं इस बार अभी तक 10 परसेंट से कम काम आया है. उनका आंकलन है कि इस बार यह बिजनेस 50 परसेंट का ही बचा है. वहीं, चुनाव आयोग की कार्रवाई के कारण भी व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

गठबंधन से ज्यादा नुकसान

दुकानदारों के अनुसार सबसे ज्यादा नुकसान इस बार सपा और बसपा के गठबंधन से हुआ है. गठबंधन के बाद दोनों ही पार्टियों का पुराना माल बेकार हो गया और नए माल को लेकर भी व्यापारियों में कनफ्यूजन बना हुआ है. जितना ऑर्डर मिल रहा है, सिर्फ उतना ही माल तैयार किया जा रहा है. दुकानदारों में डर इस बात का भी है कि कहीं चुनाव के पहले ही ये गठबंधन टूट न जाए.

बसपा की घट गई डिमांड

व्यापारी पवन शुक्ला के अनुसार इस बार बसपा की प्रचार सामग्री की पूछ न होने से झंडे, टोपी, बिल्ला, बैज पर ज्यादा नुकसान हुआ है. पुराना माल भी नहीं निकल पा रहा है. नए की डिमांड न के बराबर होने से काफी नुकसान हुआ है.

अब इन प्वाइंट्स पर आध्ारित मार्केट

- गठबंधन के कारण थोक में प्रचार सामग्री रखना बंद किया.

- गठबंधन के कारण पुरानी प्रचार सामग्री हुई बेकार.

- सिर्फ ऑर्डर मिलने पर ही तैयार की जा रही प्रचार सामग्री.

- गठबंधन टूटने के डर से नई प्रचार सामग्री भी बर्बाद होने का सता रहा डर.

- पहले के मुकाबले सिर्फ 50 परसेंट ही रह गई है दुकानदारी.

- नामांकन के बाद दुकानदार लगा रहे फायदे का आंकलन.

व्यापारी वर्जन

एक तो वैसे भी डिमांड घट गई है, ऊपर से हाल ही में टुंडला के पास सभी कागज, बिल कंप्लीट होने के बाद भी माल जब्त कर लिया गया. इस तरह की कार्रवाई से सिर्फ हमारा शोषण हो रहा है.

- सुशील अवस्थी

- डिमांड और सप्लाई पहले से आधी रह गई है. चुनाव के वक्त हमें हर बार नए कर्मचारियों को रखना पड़ता था. इस बार जितने हैं, उनके लिए भी कोई काम नहीं बचा है.

- आरिफ

- सपा-बसपा गठबंधन का सबसे बड़ा नुकसान हमें ही उठाना पड़ा है. नए स्टाइल की प्रचार सामग्री फिलहाल मांगी जा रही है. उसके भी सिर्फ ऑर्डर के अनुसार ही तैयार कराया जा रहा है.

- पवन शुक्ला