14 मार्च: होलाष्टकारंभ।

16 मार्च: फागु दशमी। श्री हरि जयंती।

17 मार्च: आमलकी एकादशी व्रत। रंगभरी एकादशी।

18 मार्च: सोम प्रदोष व्रत।

निर्झरिणी

सबसे उत्तम तीर्थ अपना मन है, जो विशेष रूप से शुद्ध किया हुआ हो। शुद्ध मन लोभ-मोह, ईष्र्या आदि से मुक्त होता है। -स्वामी शंकराचार्य

चित्त का निरोध

अव्यक्तोयमचिन्त्योयमविकार्योयमुच्यते। तस्मादेवं विदित्वैनं नानुशेचितुमर्हसि।।

यह आत्मा अव्यक्त इंद्रियों का विषय नहीं है। इंद्रियों के द्वारा इसे समझा नहीं जा सकता। जब तक इंद्रियों और विषयों का संयोग है तब तक आत्मा है तो किंतु उसे समझा नहीं जा सकता। वह अचिंत्य है। जब तक चित्त और चित्त की लहर है, तब तक वह शाश्वत है, किंतु हमारे दर्शन, उपभोग और प्रवेश के लिए नहीं है। इसलिए चित्त का निरोध करें।

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