नई दिल्ली/श्रीनगर (पीटीआई)। जम्मू कश्मीर में अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में फंसे 15,000 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है जबकि 16 तीर्थ यात्रियों ने अपनी जान गंवा दी। दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल के प्रवक्ता ने कहा, "16 शवों को बालटाल में स्थानांतरित कर दिया गया है।" बल के एक प्रवक्ता ने कहा कि आईटीबीपी ने पवित्र गुफा के निचले हिस्से से पंजतरणी तक अपने मार्ग खोलने और सुरक्षा दलों का विस्तार किया है।

अमरनाथ यात्रा हुई स्थगित
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि 30 जून को शुरू हुई तीर्थयात्रा को त्रासदी के बाद स्थगित कर दिया गया है और बचाव अभियान खत्म होने के बाद इसे फिर से शुरू करने पर फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा, "शुक्रवार शाम को आई बाढ़ के कारण पवित्र गुफा तीर्थ क्षेत्र के पास फंसे अधिकांश तीर्थयात्रियों को पंजतरणी में स्थानांतरित कर दिया गया है। निकासी सुबह 3.38 बजे तक जारी रही।

15,000 लोगों को सुरक्षित निकाला
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता ने कहा, "ट्रैक पर कोई तीर्थयात्री नहीं बचा है। अब तक लगभग 15,000 लोगों को सुरक्षित स्थानांतरित कर दिया गया है।" बीएसएफ के प्रवक्ता ने कहा कि बल के डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों ने बाढ़ में गंभीर रूप से घायल नौ मरीजों का इलाज किया। उन्होंने कहा, "उन्हें कम ऊंचाई वाले नीलग्रथ आधार शिविर में स्थानांतरित कर दिया गया है।"

एमआई-17 हेलिकॉप्टर रेस्क्यू में
नीलग्रथ हेलीपैड पर बीएसएफ की एक छोटी टीम भी गुफा मंदिर से आने वाले तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए तैनात है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार रात पंजतरणी में स्थापित बीएसएफ शिविर में करीब 150 तीर्थयात्री रुके थे और शनिवार सुबह 15 मरीजों को विमान से बालटाल पहुंचाया गया है। सेना की समान संपत्ति के अलावा बीएसएफ की वायु शाखा के एक एमआई-17 हेलिकॉप्टर को भी सेवा में लगाया गया है।

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