-शहर के जाम से रूक रही एंबुलेंस की रफ्तार

-15 मिनट का सफर डेढ़ से दो घंटे में हो रहा पूरा

-गंभीर मरीजों के जान पर बन रही आफत

केस-1

जाम में फंसी 102 एम्बुलेंस का चालक (यूपी 41-एटी-4147) सायरन बजाता रहा, लेकिन सड़क पर रेंगती गाडि़यों के बीच एम्बुलेंस को रास्ता नहीं मिला। जिसकी वजह से वह 30 मिनट जाम में फंसी रही। करीब 10:36 बजे मंडलीय हॉस्पिटल से निकले एम्बुलेंस को पीली कोठी पहुंचने में 11 बजकर 16 मिनट में पहुंचा। जबकि यह रास्ता मात्र 10 मिनट का था।

केस-2

बुधवार को 102 एम्बुलेंस (यूपी 41-जी-2466) मंडलीय हॉस्पिटल से एक गर्भवती महिला को लेकर बीएचयू के लिए रवाना हुई। सुबह 11:12 बजे निकली एम्बुलेंस 12:48 बजे एसएस हॉस्पिटल बीएचयू पहुंची। यह एम्बुलेंस करीब एक घंटा सिगरा, मलदहिया व कमच्छा के रास्ते लगे जाम में फंसी रही।

केस-3

102 एम्बुलेंस (यूपी 41-जी-2122) राजकीय महिला अस्पताल से गर्भवती को लेकर 12:58 पर सरईया के लिए निकली, लेकिन मैदागिन पर भारी जाम के कारण इसे पहुंचने में 45 मिनट लग गया। जबकि यह रास्ता मात्र 10 से 15 मिनट का था।

यह तीन केस यह बताने के लिए काफी है कि इन दिनों सिटी के ट्रैफिक जाम में फंसने वाली एम्बुलेंस की क्या हालत हो रही है। लगातार जाम की समस्या एम्बुलेंस से लाने और ले जाने वाले गंभीर पेशेंट के जान पर भारी पड़ रही है। हॉस्पिटल से रेफर पेशेंट को दूसरे हॉस्पिटल लेकर निकली एम्बुलेंस अगर जाम वाले एरिया में फंस जाये और उसे निकलने का रास्ता न मिले तो पेशेंट का जान बचाना मुश्किल है। बुधवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो बेहद ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सिगरा, रथयात्रा रोड पर लगे भीषण जाम के कारण एक एंबुलेंस एक घंटा 20 मिनट तक जाम में फंसी रही। गनीमत थी कि मरीज सीरियस नहीं था, अगर ये हार्ट या दूसरे किसी गंभीर रोग से पीडि़त होता तो उसकी हालात क्या होती ये समझा जा सकता है।

सायरन सुनकर कर देते हैं अनसुना

108 और 102 एम्बुलेंस से रोजाना दर्जनों मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लाए और ले जाए जाते हैं। लेकिन अगर आप शहर में किसी भी एरिया में निकल जाइए तो एक-दो एंबुलेंस जाम में फंसी हुई मिल ही जाएंगी। जाम में फंसे एंबुलेंस को लेकर आम लोगों का रवैया बेहद चिंताजनक है। लोग एंबुलेंस का सायरन सुनने के बाद भी साइड नहीं देते। किसी को भी इस बात की परवाह नहीं होती कि एंबुलेंस में पड़े किसी सख्स की जान खतरे में है।

क्या कहते हैं एंबुलेंस ड्राइवर

शहर की मुख्य सड़कों पर जाम लगना तो पुरानी बीमारी है। इसकी वजह से एंबुलेंस जाम में खड़ी रहती है। जाम के दौरान अगर ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है।

अजीत कुमार, एंबुलेंस ड्राइवर

--

जाम में एंबुलेंस के लिए रास्ता मिलने को कौन कहे, कई बार तो हम लोग मार खा चुके हैं। एंबुलेंस में सवार बीमार आदमी की जान बचाने के लिए हम जल्दबाजी करते हैं। लेकिन पब्लिक नहीं समझती है।

नीरज कुमार, एंबुलेंस ड्राइवर

--

करीब 6 माह पहले जाम में फंसने के कारण ही एंबुलेंस में सवार एक गंभीर मरीज ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया। करीब आधे घंटे तक जाम में फंसे रहने के कारण मरीज की अस्पताल पहुंचते-पहुंचते मौत हो गई थी।

- दीपक कुमार, एंबुलेंस ड्राइवर

हर एंबुलेंस चालक को ये प्रॉब्लम फेस करनी पड़ रही है.आम लोगों को भी समझना चाहिए कि एंबुलेंस को रास्ता न देकर वह किसी की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए संबंधित डिपार्टमेंट से बात की जाएगी।

डॉ। बीबी सिंह, एसीएमओ