क्या कहना है अधिकारी का
मामले को लेकर अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान को उजागर न करने की शर्त पर यह बात कही है, 'अमेरिका ने पाकिस्तान को (लखवी के बारे में) विश्वसनीय सबूत उपलब्ध कराए हैं.' इसके साथ ही अधिकारी ने यह कहते हुए इस बारे में विस्तार से जानकारी देने से साफ इनकार किया है कि यह एक कानूनी मामला है. उन्होंने बताया कि अमेरिका की ओर से लखवी व मुंबई आतंकी हमले में शामिल अन्य लोगों के बारे में पाकिस्तान को जो भी सूचना दी गई है वह पूरी तरह से विश्वसनीय है. उसको किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

पूछताछ पर आधारित है सूचना
मुंबई आतंकी हमले में शामिल लोगों के बारे में अमेरिका की ओर से जो भी सूचना मुहैया कराई गई है, वह पूरी तरह से डेविड हेडली से पूछताछ पर आधारित है. फिलहाल डेविड हेडली मुंबई हमले में संलिप्तता के जुर्म में जेल की सजा काट रहा है. अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों व खुफिया इकाइयों ने मुंबई आतंकवादी हमले के बारे में सिरे से जांच की है. इस बाबत अमेरिका सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि अब तक न्याय विभाग और संघीय जांच ब्यूरो ने मुंबई हमले की जांच में काफी मदद की व भारी मात्रा में सबूत इकट्ठा करने में साथ भी दिया है.

अमेरिका ने इस्लामाबाद से कहा था कुछ ऐसा
अमेरिका के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि जैसा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि मुंबई हमले को अंजाम देने वालों, उसको लेकर धन देने वालों और प्रायोजकों को उनके अपराधों के लिए पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाए. इस तरह की सूचना के आने से एक सप्ताह पहले ही अमेरिका ने कहा था कि पाक के साथ आतंकवाद से निपटने के लिए मजबूत साझेदारी की गई है. उस समय अमेरिका ने इस्लामाबाद से अपील की थी कि वह 26/11 हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने के अपने वादे को पूरा करें.

एक नजर पीछे भी
इसको लेकर अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा था, 'पाक सरकार ने मुंबई हमलों को अंजाम देने वालों और उन्हें वित्तीय मदद देने वालों को न्याय के कटघरे में लाने में सहयोग करने का वादा किया था. अब पाकिस्तान से उस वादे को पूरा किए जाने की अपील की जाती है.' गौरतलब है कि 55 वर्षीय लखवी मुंबई हमलों का कथित मास्टरमाइंड है. फिलहाल जन सुरक्षा व्यवस्था के तहत पाकिस्तान की जेल में है. बीते सप्ताह एक अदालत की ओर से लखवी को जेल से रिहा करने के निर्देश दिए गए थे. इस कदम का भारत की ओर से सख्त विरोध किया गया था.

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