कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। रांची के कवि अनवर अली 11 अक्टूबर को 80 साल के हो जाएंगे। आप सोच रहे होंगे कि यह अनवर अली कौन है? यह कोई और नहीं बल्कि हिंदी फिल्मों के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन हैं जिन्होंने पांच दशक पहले इस कैरेक्टर के साथ अपनी फिल्म की शुरुआत की थी। फिल्म निर्माता ख्वाजा अहमद अब्बास द्वारा 1969 में रिलीज हुई 'सात हिंदुस्तानी' में, अभिनेता ने एक कवि की भूमिका निभाई, जो रांची के हिंदपीढ़ी में रहता था। हालांकि, यह कैरेक्टर पूरी तरह से काल्पनिक है यानी इस नाम का कोई कवि कभी रांची में नहीं रहा।

पहली फिल्म में मिले थे 5 हजार रुपये
फिल्म की कहानी गोवा को पुर्तगाली कब्जे से मुक्त कराने की लड़ाई के इर्द-गिर्द घूमती है। इस मिशन पर देश के अलग-अलग राज्यों से सात लोग गोवा के लिए रवाना होते हैं, उनमें से एक अनवर अली है। फिल्म में अपने एक संवाद में, अमिताभ ने अपना परिचय देते हुए कहा: "मैं हूं अनवर अली। बिहार के रांची का रहने वाला हूं और शायरी करता हूं।" बच्चन ने जिस ईमानदारी से इस किरदार को निभाया, उन्हें इस भूमिका के लिए 'बेस्ट न्यूकमर' का अवार्ड मिला। दिलचस्प बात यह है कि अब्बास ने उन्हें फिल्म में बतौर फीस 5,000 रुपये दिए थे।

अनवर अली न बनते तो जाने कहां होते
अपने एक इंटरव्यू में, अमिताभ ने कहा था कि भले ही उस समय की फीस बहुत अधिक नहीं थी, लेकिन यह एक न्यू कमर के लिए भी बहुत कम नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा था: "अगर मुझे अनवर अली के रूप में ब्रेक नहीं मिला होता, तो मुझे नहीं पता कि मैं आज कहां होता।' 'सात हिंदुस्तानी' सबसे पहले दिल्ली के शीला सिनेमा में रिलीज हुई थी और बच्चन ने पहला शो अपने माता-पिता के साथ देखा था। इससे पहले फिल्म की ट्रायल स्क्रीनिंग भी हुई थी, जिसमें अब्बास साहब ने मीना कुमारी को खास इनवाइट किया था। मीना कुमारी ने अनवर अली के कैरेक्टरर की बहुत प्रशंसा की, जिससे बच्चन शरमा गए।

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