-यूरोपियन यूनियन के वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट में देश को प्रतिनिधित्व करेगा पटना का एएन कॉलेज

- प्राकृतिक तरीके से जल संरक्षण के तरीकों को अध्ययन में किया गया है शामिल

- अध्ययन में देश के तीन स्थानों में बिहार का नालंदा भी शामिल

PATNA(15Sept):

पूरी दुनिया के लिए वाटर मैनेजमेंट एक बड़ा चैलेंज है और यूरोपियन यूनियन (इयू) इस दिशा में काम करने वाला एक ग्लोबल एसोसिएशन है। हाल ही में इयू की ओर से वाटर मैनेजमेंट विषय पर बनाए गए कॉन्र्सोटियम में देशभर में एकमात्र एएन कॉलेज पटना को बतौर नॉलेज पार्टनर चुना गया है। इस मल्टी डिसिप्लनरी प्रोजेक्ट में भारत इयू के बने कॉन्र्सोटियम के सात देशों में से एक है। इसमें हर देश को एक खास कार्य के लिए चुना गया है। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एएन कॉलेज पेरी अर्बन एरिया यानि शहर से थोड़ा हटकर संबंधित स्थान में नेचर बेस्ड सॉल्यूशन का अध्ययन करेंगे। इसमें बिहार का नालंदा भी शामिल है। कुल मिलाकर ईयू के माध्यम से देसी फंडे से, जो पारंपरिक तौर पर जल संरक्षण के लिए प्रचलित था, उसे पूरी दुनिया जान सकेगी। कॉन्र्सोटियम की पहली बैठक स्वीडेन की राजधानी स्टॉकहोम में जून, 2019 में आयोजित की गई थी।

इन बातों पर होगा फोकस

इस प्रोजेक्ट से जुडे़ विशेषज्ञों के अनुसार भारत का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि आज जब दुनिया में पानी के संरक्षण पर बहस छिड़ी हुई है तो भारत में इसके संरक्षण के प्रमाण हजारों साल पहले ही ईजाद कर लिए गए थे। इस प्रोजेक्ट की को- प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर रत्‍‌ना अमृत ने बताया कि परंपरागत तरीके से जल संरक्षण की भारत की समृद्ध परंपरा रही है। भारतीय दार्शनिक कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में भी इसका जिक्र किया गया है।

सोशल साइंस के नजरिये से अध्ययन

प्रोजेक्ट की को-प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर डॉ रत्‍‌ना अमृत ने बताया कि यह पहला मौका है जब इस प्रतिष्ठित एसोसिएशन के साथ वाटर मैनेजमेंट को लेकर कॉलेज जुड़ा है। वाटर मैनेजमेंट को सोशल साइंस के पहलुओं से जोड़ा गया है। इस प्रोजेक्ट की प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉ नुपूर बोस हैं।

तीन स्थानों पर होगी स्टडी

एएन कॉलेज इस प्रोजेक्ट के तहत देश के तीन चुनिंदा स्थानों पर वाटर मैनेजमेंट और इसके सोशल पहलुओं का अध्ययन करेगा। इसमें बिहार, राजस्थान और कर्नाटक के एक-एक स्थान शामिल है। बिहार में नालंदा, राजस्थान में जैसलमेर और कर्नाटक में बैंगलुरू का अध्ययन किया जाएगा। कॉलेज की ओर से यह बताया गया कि कॉलेज केवल नॉलेज पार्टनर है। इसमें किसी प्रकार का फंड नहीं प्राप्त करेगा।

कोट

यह एक अच्छी शुरुआत है। देश में परंपरागत तरीके से जल संरक्षण की समृद्ध परंपरा के रिवाइवल और नॉलेज शेयरिंग का यह एक बड़ा मौका है।

- डॉ रत्‍‌ना अमृत, को- प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर