पटना (ब्यूरो)। गुरुवार सुबह तबियत खराब होने के बाद परिजनों ने पीएमसीएच में इलाज के लिए लाया। जहां डॉक्टरों इसीजी सहित अन्य जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। उसके बाद शुरु हुआ पीएमसीएच प्रशासन के लापरवाही का खेल। वशिष्ट नारायण सिंह के शव को कुल्हडि़या ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने काफी देर तक एम्बुलेंस तक मुहैया नहीं कराया। महान गणितज्ञ का शव पीएमसीएच के ब्लड बैंक के पास स्ट्रेचर पर ही रहा।

एम्बुलेंस के लिए गुहार

निधन के बाद डीजे आई नेक्स्ट से बात करते हुए उनके छोटे भाई अयोध्या प्रसाद सिंह ने बताया कि शव को घर ले जाने के लिए घंटों तक अस्पताल के सामने खड़े रहे। शव को घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की मांग करते रहे मगर सुनने वाला कोई नहीं था। जब इस लापरवाही की खबर मीडिया में सामने आई, तब कहीं जाकर अस्पताल ने शव घर ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की। उधर अस्पताल प्रशासन ने सफाई देते हुए कहा कि खबर मिलने के बाद 20 मिनट के अंदर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई।

सबसे बड़े अस्पताल पर सवाल

महान गणितज्ञ वशिष्ट नारायण सिंह के शव को एम्बुलेंस के लिए इंतजार करने पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर पड़ताल किया तो पता चला कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में सिर्फ 3 एम्बुलेंस हैं जिसमें से एक गोदाम में खराब पड़ा है वहीं दूसरा प्रदूषण नहीं रहने के चलते ट्रैफिक पुलिस ने सीज कर लिया है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन के पास सिर्फ 1 एम्बलेंस कार्यरत है। जबकि यहां प्रति दिन 2000 से 25000 मरीज ओपीडी और इमरजेंसी में इलाज के लिए आते हैं। इस संबंध अस्पताल प्रशासन ने अपना सफाई देते हुए कहा कि सिविल सर्जन को पांच एम्बुलेंस मुहैया कराने के लिए लिखित तौर पर कहा गया है। मगर आज तक एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराया गया है।

जन्मदिन पर आती थी महिला

उनके निधन के बाद नेतरहाट विद्यालय के जूनियर भरत कुमार डीजे आई नेक्स्ट के रिपोर्टर से बताया कि वे बचपन से ही प्रतिभा सम्पन्न स्टूडेंट्स थे। नासा सहित कई सरकारी संस्थानों में काम कर चुके हैं। शादी के बाद उनका जीवन दुखी हो गया। मगर उनके हर जन्म दिन पर एक महिल आती थी और गिफ्ट देकर चली जाती थी। महिला का परिचय वशिष्ट नारायण ने आज तक किसी को ठीक से नहीं दिया।

पीएमसीएच प्रशासन ने दिया जांच के आदेश

निधन के बाद पीएमसीएच प्रशासन द्वारा केवल डेथ सर्टिफिकेट (मृत्यु प्रमाणपत्र) देकर पल्ला झाड़ लिया गया। जब वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि हम अपने पैसे से अपने भाई का शव गांव ले जाएंगे। सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की घोषणा करने के बाद पीएमसीएच प्रशासन ने वशिष्ट नारायण सिंह के शव को समय से एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराने के लिए जांच के आदेश दिए हैं। आज भी कहा जाता है कि इस बीमारी के शुरुआती वषरें में अगर उनकी सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती, तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता। उनके बारे में मशहूर किस्सा है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा में अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था।

'महान गणितज्ञ वशिष्ट नारायण सिंह को इलाज के लिए पीएमसीएच लाया गया। इलाज के समय वे मृत अवस्था में थे। परिजनों द्वारा पार्थिव शरीर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की मांग की गई। एम्बुलेंस उपलब्ध कराने में देरी की जांच कमेटी करेगी।'

-डाॅ. राजीव रंजन, सुपरिटेंडेंट, पीएमसीएच

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