पीडीपी का अपना मसला
पीडीपी की तरफ से मुख्यमंत्री बने मुफ्ती मुहम्मद सईद द्वारा पाक को सराहे जाने से बीजेपी ने अपना पल्ला झाड़ लिया. मुफ्ती मुहम्मद सईद ने रविवार को बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण की थी. शपथ के बाद ही मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में गत दिनों जो चुनाव हुए हैं, उनमें पाकिस्तान, आतंकी संगठनों व हुर्रियत कांफ्रेंस ने काफी सहयोग दिया. मुफ्ती के इस बयान पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इससे यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह पीडीपी का अपना मसला है. हालांकि अब इसके बाद पीडीपी के विधायकों ने एक और नया मामला उठा दिया. उन्होंने कल सोमवार को अफजल गुरु के शव को वापस सौंपे जाने की मांग कर दी. पीडीपी के विधायकों जहूर मीर, यावर मीर, मुहम्मद खलील बडं, राजा मंजूर अहमद, मुहम्मद अब्बास वानी, एडवोकेट मुहम्मद यूसुफ, एजाज मीर और नूर मुहम्मद ने अफजल को फांसी दिये जाने का मामला उठाया.

शव वापसी की मांग जायज
विधायकों का कहना है कि पीडीपी शुरू से ही कहती रही है कि अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ाया जाना न्याय और संविधान के खिलाफ था. उसे उसके परिजनों से न मिलने देना और उसे 28वें नंबर से उठाकर पहले नंबर पर फांसी देना पूरी तरह तानाशाही है. पीडीपी उसके शव व अन्य सामान को उसके परिजनों को सौंपे जाने के लिए हर संभव प्रयास करने का यकीन दिलाती है. इतना ही नहीं उन्होंने संसद हमले के साजिशकर्ता अफजल गुरु की फांसी को न सिर्फ गलत ठहराया है, बल्कि निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद द्वारा उनके शव वापसी की मांगे को जायज ठहराया है. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर तीखे वार किये. उन्होंने कहा कि भाजपा में अगर जरा सी नैतिकता और विचारों का साहस है तो तो वह पीडीपी से गठबंधन तोड़कर बताये, क्योंकि पूरी दुनिया को पता है कि अफजल गुरु को वह आतंकी मानती है.

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