बेटी के एडमिशन के लिए जाने वाले थे
lucknow@inext.co.in
LUCKNOW : राजेश साहनी के साथ एटीएस में शामिल अधिकारियों ने बताया कि साहनी अपनी बेटी श्रेया का दाखिला मुम्बई के प्रतिष्ठित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज में एमए में कराने जाने वाले थे। शायद इसी के लिए उन्होंने छुट्टी ली थी। उनकी बेटी श्रेया ने दिल्ली से बीए किया था। मौजूदा समय में वह लखनऊ स्थित घर पर ही मौजूद थी।

चर्चाओं का महौल गर्म
साहनी की आत्महत्या को लेकर एटीएस मुख्यालय में तरह तरह की चर्चाएं सुनने को मिल रही हैं। कोई काम का दवाब बता रहा था तो कोई पारिवारिक वजह। कुछ लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा था कि जब वह दो दिन से छुट्टी पर थे तो वह दफ्तर क्यों आये थे? कहीं ऐसा तो नहीं कि राजेश साहनी किसी काम के दवाब में थे।  

मुंशी से बोले सारी फाइल निपटा दूंगा
एटीएस दफ्तर में मौजूद लोगों ने बताया कि सुबह जब एएसपी राजेश साहनी अपने दफ्तर पहुंचे तो दफ्तर का मुंशी फाइल लेकर साइन कराने के लिए उनके पास पहुंचा। बताया जाता है कि उस समय राजेश साहनी अपने ड्राइवर मनोज से पिस्टल मंगवा चुके थे। मुंशी के सामने वह हाथ में पिस्टल लेकर घूमा रहे थे। वहीं उन्होंने मुंशी से कहा कि वह सारी फाइलों को हमेशा के लिए निपटा देंगे। इसके बाद मुंशी वहां से चला गया। कुछ ही मिनट के बाद वह पहली मंजिल से उतर कर नीचे अपने केबिन में आकर बैठ गए थे।

काफी खुशमिजाज थे राजेश
1969 में बिहार में जन्मे राजेश सहानी ने 1992 में यूपी पुलिस में बतौर पीपीएस अधिकारी नौकरी शुरू की थी। राजेश बतौर सीओ जहां-जहां तैनात रहे, वहां अपने खुशमिजाज स्वभाव से सभी का दिल जीत लेते थे। वह इतने सरल और शांत स्वभाव के थे कि लोग अपने आप ही उनकी तरफ  खिंचे चले आते थे। बताया जाता है कि बहराइच जनपद में बतौर सीओ सिटी तैनाती के दौरान जब उनका तबादला हो गया कि बहराइच की जनता तबादला रोके जाने की मांग करने लगी। इसके बाद लखनऊ में वह बतौर सीओ कैसरबाग और सीओ चौक तैनात रहे थे। वर्ष 2013 में उनको एडिशनल एसपी के पद पर प्रमोशन हुआ था। इसके बाद उन्होंने करीब पौने दो साल एनआईए मेें भी अपनी सेवा दी थी। एनआईए के बाद वह कुछ दिन तक एसटीएफ  में रहे। इसके बाद वह 2014 यूपी एटीएस में तैनात थे।

अधिकतर ऑपरेशन खुद ही करते थे लीड

राजेश जितने शांत और सरल स्वभाव के थे, वह उतने ही बहादुर और निडर थे। 8 मार्च को 2017 में उन्होंने लखनऊ के काकोरी स्थित हाजी कॉलोनी में आईएसआईएस से जुड़ सैफुउल्ला को कई घंटे के ऑपरेशन के बाद मार गिराया था। उस समय उनके साथ मौजूद एक सिपाही ने बताया कि जिस समय एटीएस और सैफुल्लाह के बीच मुठभेड़़ चल रही थी, राजेश बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के सबसे आगे खड़े थे। सिपाही ने बताया कि उसने खुद गाड़ी से बुलेट प्रूफजैकेट लाकर उनकी दी थी और जैकेट पहने के लिए भी कहा था। चंद रोज पहले राजेश ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से आईएसआई एजेंट राजेश सिंह को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा राजेश सहानी एटीएस में होने वाले अधिकतर आपरेशन में बतौर लीडर काम करते थे।

ऑफिस में सुसाइड करने वाले एएसपी साहनी थे बेहद बहादुर, कभी दबंगों की जीप के बोनट पर बैठ घूमे थे शहर

16 घंटे बीते फिर भी नहीं बुझी : दिल्ली में अब हेलीकाॅप्टर से हो रहा भीषण आग पर काबू पाने का प्रयास

National News inextlive from India News Desk