-प्रॉपर प्लानिंग के साथ आसानी से घर में किया जा सकता है इंतजाम

-वहीं पुराने घर में भी पाइप फिटिंग के जरिए की जा सकती है कोशिश

-इससे पानी की निकासी के साथ ही हार्वेस्टिंग की भी हो जाएगी व्यवस्था

GORAKHPUR: वॉटर क्राइसिस से दुनिया के कई देश जूझ रहे हैं। इंडिया में भी कई शहर ऐसे हैं, जहां पानी के लिए हाहाकार मचा है। सभी इस तैयारी में हैं कि किस तरह से पानी की व्यवस्था की जाए और कैसे उन्हें बचाया जा सके। अगर आप भी ऐसा कुछ सोच रहे हैं, तो आपके पास भी पानी बचाने का खास मौका हो सकता है। बस इसके लिए आपको थोड़ा जेब ढीली करनी पड़ेगी, तो वहीं अपने आशियाने में थोड़ी जगह देनी होगी। इसमें नए घर की बात करें तो हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप करना थोड़ा आसान है, जबकि पुराने घरों में भी यह डेवलप हो जाएगा लेकिन इसके लिए प्रॉपर प्लानिंग करनी पड़ेगी।

नई बिल्डिंग में ये है सिस्टम

सिटी की डेवलपमेंट अथॉरिटीज के जरिए पास किए गए हर नक्शे में यह शर्त होती है कि बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसके लिए अप्लीकेंट से विभाग में कुछ पैसे राशि जमा कराए जाते हैं, जो रिफंडेबल होती है। यह पैसा तभी वापस होता है जब भू स्वामी सभी प्रक्रिया पूरी करने के बाद एनओसी लेने आता है। इसमें बहुत से भवन स्वामी हार्वेस्टिंग सिस्टम के तैयार करा लेने के बाद एनओसी लेने पहुंचते है, जिन्हें यह वेस्ट ऑफ मनी लगता है, वे इस सिस्टम को नहीं लगाते।

ये है वॉटर हार्वेस्टिंग

बारिश के बाद इस पानी को उत्पादक कार्यो के लिए इस्तेमाल करने के लिए इकट्ठा करने की प्रॉसेस को वॉटर हार्वेस्टिंग कहा जाता है। सीधे तौर पर कहें तो छत पर गिर रहे बारिश के पानी को सामान्य तरीके से इकट्ठा कर उसे शुद्ध बनाने के काम को वर्षाजल संग्रहण कहते हैं। इस पानी को कहीं भी कलेक्ट किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए वे स्थल उपयुक्त होते हैं, जहां पर पानी का बहाव तेज होता है और रेन वॉटर आसानी से बह जाता है।

पुराने में थोड़ा मुश्किल है राह

पुरानी बिल्डिंग में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप करने में थोड़ा मुश्किल जरूरी होती है, लेकिन यहां भी इस सिस्टम को डेवलप किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि अपने पास जगह मौजूद हो। प्रॉपर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बनवाने 10 से 50 हजार रुपए के करीब खर्च आता है। इसमें नई बिल्डिंग में प्रॉपर प्लानिंग की वजह से थोड़ा कम पैसे लगते हैं, जबकि पुराने में काफी प्लानिंग की जरूरत पड़ती है और जगह मिलने के बाद फाइनल हो सकते हैं।

ऐसे लगता है सिस्टम

- छत पर पानी के लिए टैंक बनाया जाता है।

- उसमें होल कर पाइप को जमीन तक लाया जाता है।

- बीच में पिट (फिल्टर) बनाई जाती है।

- पीट में जाली, गिट्टी, मोरंग, बालू भरा जाता है।

- पाइप को जमीन में बोरिंग कर डाला जाता है।

- पाइप भवन की छत से जमीन के अंदर तक होता है, जिसके जरिए छत पर बने टैंक में एकत्र बारिश के पानी को जमीन के अंदर पहुंचा दिया जाता है।

यहां होता है इस्तेमाल

1. बर्तनों की साफ-सफाई

2. नहाना व कपड़ा धोना

3. टॉयलेट आदि कार्य

4. सिंचाई के लिए

5. नहाने आदि के साथ प्योरिफाई कर खाना बनाने के लिए

ये हैं फायदे

- रेन वॉटर क्राइसिस में काम में आ जाता है।

- भूगर्भ जल स्तर संतुलित रहता है।

- पेयजल की समस्या नहीं होती।

वर्जन

नई बिल्डिंग में अगर प्रॉपर प्लानिंग की जाए तो आसानी से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप किया जा सकता है। वहीं अगर पुरानी बिल्डिंग है, तो इसके लिए प्लानिंग के साथ ही जगह की भी जरूरत पड़ेगी।

- प्रो। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट