-दालों के रेट आसमान पर पहुंचने के बाद भी स्टॉक खत्म होने की कगार पर

-सिटी के थोक मार्केट में मची खलबली, सरकार ने नहीं निकाला कोई रास्ता

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KANPUR: अरहर की दाल के शौकीनों के लिए बुरी खबर है। महंगी ही सही, लेकिन अभी बाजार में दाल मिल रही है। लेकिन, सरकार ने दाल को आयात करने का को‌ई्र रास्ता जल्द नहीं निकाला तो अरहर की दाल शहर में देखने को भी नहीं मिलेगी। दालों के रेट आसमान पर पहुंचने के बाद लोकल मार्केट में भी खलबली मची हुई है। अरहर की दाल का हाल सबसे ज्यादा खराब है। लोकल थोक मार्केट से अरहर की दाल धीरे-धीरे गायब होती जा रही है। व्यापारियों की मानें तो आने वाले दिनों में दाम बढ़ने के साथ ही अरहर की दाल लोकल मार्केट से खत्म हो सकती है। क्योंकि फिलहाल दाल के आयात को कोई रास्ता सरकार की ओर से नहीं निकाला गया है। ऐसे में लोकल मार्केट में जितना स्टॉक है। वो 45 दिनों के अंदर पूरी तरह खत्म हो जाएगा।

सिर्फ डेढ़ महीने के लिए

थोक व्यापारी और कलक्टरगंज व्यापार मंडल के महामंत्री विनोद गुप्ता के मुताबिक, अरहर की दाल के रेट आसमान पर पहुंचने के बावजूद बाजार से ये गायब होना शुरू हो चुकी है। उनके मुताबिक सरकार से दाल के स्टॉक पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। ऐसी सिचुएशन में व्यापारियों के पास दाल का जो स्टॉक अवेलेबल था उन्होंने बाजार में उतार दिया। उसकी वजह से कुछ महीनों तक रेट स्थिर रहे लेकिन अब वो स्टॉक भी खत्म होने की कगार पर पहुंच रहा है। सरकार ने अब तक अरहर की दाल के आयात की व्यवस्था नहीं की है। उनके मुताबिक ऐसी स्थिति में कानपुर के लोकल बाजार में अरहर दाल की खपत को देखते हुए डेढ़ महीने का स्टॉक ही मौजूद है। इसके बाद लोगों को अरहर की दाल खाने को नहीं मिल पाएगी। उनके मुताबिक दाल मिलों ने भी दाल की आपूर्ति बंद कर दी है। मिलों का तर्क है कि जब किसान के पास दाल आ ही नहीं रही है तो फिर वो कैसे मार्केट में आपूर्ति कर सकते हैं।

रंगून, यूक्रेन, रूस की दाल

थोक व्यापारी शिवनंदन के मुताबिक यूक्रेन, रंगून, रूस, म्यांमार और कनाडा से आयात होने वाली अरहर की दाल के दाने कत्थई रंग के होते हैं। यहां की दाल के दाने में भी काफी मोटे होते हैं। ऐसी स्थिति में लोकल मार्केट में ये दाल बहुत कम बिकती है। ऐसी सिचुएशन में आयात होने के बाद भी दाल में वो मजा नहीं रहेगा जोकि इंडिया की दाल में होता है। जबकि देश में नई दाल की नई फसल दो महीने बाद आएगी। जिसके बाद स्थिति कुछ संभलेगी।

मौसम की मार का असर

कलक्टरगंज व्यापार मंडल के महामंत्री विनोद गुप्ता ने बताया कि दाल की किल्लत के पीछे सबसे बड़ी वजह है मौसम की मार। जब दाल की फसल तैयार खड़ी थी तब बेमौसम बारिश हो गई। जिससे की काफी फसल बर्बाद हो गई। इसके बाद जब दाल की फसल को पानी चाहिए था तब बारिश न होने से फसल खराब हो गई। ऐसी सिचुएशन में किल्लत बढ़ती गई। थोक व्यापारी नमन गुप्ता के मुताबिक अभी कुछ दिनों के अंदर अरहर समेत सभी प्रमुख दालों के रेट में 20 से 25 परसेंट तक का इजाफा होने की पूरी उम्मीद है।

दाल रेट

अरहर (फूल) 200

अरहर (मीडियम) 180

अरहर (स्पेशल) 160

अरहर (डेढ़ नंबर) 150

उड़द (हरी) 120

उड़द (काली) 120

उड़द (धोया) 140

उड़द (फ‌र्स्ट) 160

चना दाल 64

मटर दाल 32

मटर खड़ी दाल 30

मूंग की दाल (छिलका) 100

मूंग की दाल (धुली) 112

लाल मसूर 83

काली मसूर 78

नोट-दाल के रेट प्रति किलोग्राम में थोक मार्केट के हैं।

दाल के रेट में अभी और इजाफा होगा, ये तय है। अगर अरहर की दाल की बात करें तो ये शहरवासियों की थाली से गायब होने वाली है। धीरे-धीरे स्थिति यही बन रही है।

विनोद गुप्ता, महामंत्री, कलक्टरगंज व्यापार मंडल और थोक व्यापारी दाल मंडी

सरकार ने अभी दाल के आयात करने के लिए कोई रणनीति नहीं बनाई है। अभी सिर्फ बातचीत हो रही है। ऐसे में दाल की कीमत और बढ़ती जा रही है।

शिवनंदन, थोक व्यापारी दाल मंडी

दाल की कीमतों में इजाफे की वजह है कि किसी व्यापारी के पास स्टॉक है ही नहीं। स्टॉक खत्म होने के कारण बाजार में खपत से कई गुना कम दाल मौजूद है।

नमन गुप्ता, दाल थोक व्यापारी

नई फसल आने के बाद ही दाल के रेट पर लगाम लग सकती है। इससे पहले स्थिति सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है। सरकार ने तुरंत एक्शन नहीं लिया तो दाल बाजार में नहीं मिलेगी।

अमित गुप्ता, थोक दाल व्यापारी