8 % से अधिक फीस बढ़ाया तो जाएगी स्कूल की मान्यता

फीस के नाम पर वसूली करने वालों पर शिकंजा,

विधेयक के ड्राफ्ट को योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी

-नये फार्मूले से आठ फीसद से ज्यादा फीस नहीं बढ़ेगी

-पांच साल तक यूनीफार्म इत्यादि भी नहीं बदल सकेंगे

60 दिन पहले बतानी होगी फीस
उपमुख्यमंत्री डॉ। दिनेश शर्मा ने बताया कि यह नियम बीस हजार रुपये से ज्यादा शुल्क लेने वाले स्कूलों पर ही लागू होगा जबकि प्री-स्कूलों को विधेयक की परिधि में शामिल नहीं किया गया है। कैबिनेट ने तय किया है कि स्कूलों को सत्र शुरू होने से 60 दिन पहले फीस का ब्योरा देना होगा। स्कूल की वेबसाइट पर शिक्षकों के वेतन, विभिन्न मदों में होने वाला खर्च भी बताना होगा। एक बार स्कूल में एडमिशन लेने के बाद हर साल एडमिशन फीस लेने पर पूरी तरह रोक लगा दी गयी है।

छह माह से ज्यादा की फीस एकसाथ नहीं
कोई भी स्कूल छह माह से ज्यादा की फीस एक बार में जमा नहीं करा सकेगा। उसे त्रैमासिक या अ‌र्द्धवार्षिक फीस लेने की छूट दी गयी है। कैबिनेट ने स्कूलों द्वारा ली जाने वाली कैपिटेशन फीस को प्रभावित न करने का निर्णय लिया है, हालांकि उन्हें इसकी रसीद देनी होगी। किसी भी अभिभावक को दुकान विशेष से सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा बस, बोर्डिग, मेस, शैक्षिक भ्रमण व अन्य मदों में केवल उनसे ही शुल्क लिया जा सकेगा जो इसका उपयोग करते है।

वर्तमान सत्र से होगा लागू
कैबिनेट ने इन नियमों को वर्तमान शैक्षिक सत्र से लागू करने का फैसला लिया है। जबकि फीस के स्लैब का आधार वर्ष 2015-16 का रखा गया है। कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि जो स्कूल अपने परिसर का इस्तेमाल वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए करते हैं, उन्हें इससे होने वाली आय को स्कूल की आय में दर्शाना होगा। इससे स्कूल की आय बढ़ेगी और बिना अभिभावकों पर ज्यादा फीस का बोझ डाले बगैर शिक्षकों की तनख्वाह इत्यादि बढ़ाई जा सकेगी। ज्यादा आय होने पर स्कूलों को फीस भी कम करनी पड़ सकती है। कैबिनेट ने फीस बढ़ाने का फार्मूला भी तय किया है जिसके मुताबिक आठ फीसद से ज्यादा की फीस बढ़ोतरी नहीं हो सकती। स्कूल केवल विवरण पुस्तिका एवं रजिस्ट्रेशन शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और संयुक्त वार्षिक शुल्क ही ले सकेंगे।

पांच लाख तक का जुर्माना
विधेयक के नियमों का पालन कराने के लिए राज्य सरकार ने मंडलायुक्त की अध्यक्षता मे एक कमेटी बनाने का निर्णय भी लिया है जिसमें अभिभावक संघ का एक प्रतिनिधि भी शामिल होगा। यदि कोई स्कूल पांच साल से पहले यूनीफार्म इत्यादि में बदलाव करता है तो उसे समिति को इसका ठोस कारण बताना होगा। यदि कोई स्कूल नियमों को भंग करता है तो इसकी शिकायत पहले स्कूल के प्रबंध तंत्र से करनी होगी। इसका 15 दिन में निस्तारण न होने पर मंडलीय समिति को अपना प्रत्यावेदन देना होगा। राज्य सरकार जल्द ही मंडलीय समिति के अधिकारों को भी तय करने जा रही है। यदि मंडलीय समिति के फैसले से कोई अभिभावक अथवा स्कूल प्रबंधक असहमत होता है तो वह अपीलीय कमेटी में जा सकता है। फिलहाल पहली बार नियमों की अवलेहना करने पर एक लाख रुपये जुर्माना और दूसरी बार करने पर पांच लाख रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं तीसरी बार नियम तोड़ने पर मंडलीय समिति स्कूल की मान्यता को रद करने की सिफारिश करेगी।

फैक्ट फाइल
-2018-19 शैक्षिक सत्र से इन नियमों को किया जाएगा लागू

- 08 फीसद से ज्यादा फीस की बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे स्कूल

- 134 आपत्तियां और शिकायतें मिली थी राज्य सरकार को

- 06 महीने से ज्यादा की फीस एक साथ नहीं जमा करा सकेंगे स्कूल

- 60 दिन पहले देना होगा स्कूल द्वारा ली जाने वाली फीस का ब्योरा

- 01 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना नियमों का पालन न करने पर

- सीआईएससीई, सीबीएसई, यूपी बोर्ड समेत सभी बोर्डो पर होगा लागू

- 01 से 12 वीं क्लास तक के स्कूलों को विधेयक मे किया गया शामिल

अभिभावकों के शोषण पर रोक लग सकेगी
हर साल निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की लगातार शिकायतें मिल रही थी। इसको रोकने को बनाए गये विधेयक के ड्राफ्ट पर आज सहमति बन गयी है। इसे नियमित स्वरूप प्रदान करने की कार्यवाही जल्द शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी इसमे खासा ध्यान रखा गया है। इससे स्कूलों द्वारा अभिभावकों के शोषण पर रोक लग सकेगी। हमारा उद्देश्य किसी को आहत करने का नहीं, बल्कि राहत देने और गुणवत्तापरक शिक्षा देने का है।
डॉ। दिनेश शर्मा, उप मुख्यमंत्री