कहानी : अर्जुन और ओनिडा है पुलिसिया अवेंजर्स और कृति एक जर्नलिस्ट (लोल), जो लड़ रहे हैं क्राइम की दुनिया से।

रेटिंग : 2 स्टार

समीक्षा :

फर्स्ट हाफ किसी रेगुलर कॉमेडी की तरह शुरू होता है, क्वर्की डाइलोग और स्पूफ सेटअप के चलते फिल्म स्टार्ट बड़ी पटाखा स्टाइल लेती है पर जल्द ही पता चल जाता है कि पटाखा फुस्स होने वाला है और फिल्म की हवा निकलने वाली है। थोड़ी देर बार जब जोक्स आखरी सांसें गिनने लगते हैं तो कॉमेडी सेटअप दम तोड़ देता है और रह जाता है बस पुलिसिया मूवी का नीरस स्पूफ जो सच बोलें तो अझेल है।कुछ किरदार क्रिएट किये जाते हैं और फिर ऐसे ही छोड़ दिये जाते हैं, मसलन सीमा पाहवा का इंटरस्टिंग किरदार भी फिल्म में काफी ड्रेगड सा लगता है। सेकंड हाफ में आके फिल्म टोटली अनफनी हो जाती है और बोर करने लगती है। ताज्जुब की बात है कि स्री जैसी बढ़िया और ज़बरदस्त पेशकश के बाद कैसी ऐसी फिल्म किसी को भायेगी। रूटीन कॉमेडी फिल्म की जान ले लेती है।

क्या है अच्छा -

गीत संगीत अच्छा है, बड़ा मज़ेदार है और फिल्म का हाई पॉइंट है। फिल्म वेल शॉट है और फिल्म का लुक एंड फील बड़ा attract करता है।

अदाकारी :

दिलजीत फूल फॉर्म में हैं और बहूत एंटरटेन करते हैं, वरुण बड़े टाइप कास्ट से हो गए हैं पर फिर भी अपना काम बढ़िया करते हैं। कृति रोल में मिसफिट हैं। सीमा जी माइंड ब्लोइंग हैं, बाकी सारे किरदार खराब स्क्रीन प्ले में खो जाते हैं।

कुलमिलाकर ये एक साधारण और बोर किस्म की रूटीन कॉमेडी फिल्म है, TV पे भी देख लेंगे तो कुछ ज़्यादा फ़र्क़ नाही पड़ेगा। अगर दिलजीत के फैन हों तो ज़रूर जाके देख सकते हैं।

बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : 15 से 20 करोड़

Review by: Yohaann Bhaargava

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