समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार जम्मू में सेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ''इकट्ठा किए गए साक्ष्य पहली नज़र में आरोपों को पुष्ट नहीं करते.'' उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि विशेष गुप्त सूचना के आधार पर इस मुठभेड़ को सेना और पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से अंजाम दिया गया. सेना ने इस मामले को बंद कर दिया है. इस बारे में श्रीनगर में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत को सूचना दे दी गई है.''

लेकिन जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे निराशाजनक बताया और कहा है कि वो इस मामले में दूसरे विकल्पों पर विचार करने के लिए एडवोकेट जनरल से कहेंगे.

उन्होंने ट्वीट किया है, ''यह मामला काफी गंभीर है और इसे इस तरह बंद नहीं किया जा सकता. सीबीआई जांच के नतीजे अपने आप में गंभीर हैं.''

पुलिस को क्लीन चिट

सेना ने बंद किया पथरीबल मुठभेड़,उमर निराश

वर्ष 2006 में सीबीआई ने राज्य पुलिस को क्लीन चिट देते हुए सेना के पांच जवानों पर फर्जी मुठभेड़ का दोषी माना था.

मामले को 2003 में सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया था. सीबीआई का आरोप है कि 7 राष्ट्रीय राइफल के अधिकारी और जवान– ब्रिगेडियर अजय सक्सेना, लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रहेंद्र प्रताप सिंह, मेजर सौरभ शर्मा, मेजर अमित सक्सेना और सूबेदार इदरीस खान ने फर्जी मुठभेड़ की साजिश रची थी.

जांच एजेंसी के अनुसार, दक्षिणी कश्मीर के छित्तिसिंघपोर में सिखों पर आतंकी हमले में शामिल होने के बहाने पांच निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई.

उल्लेखनीय है कि 26 मार्च 2000 में दक्षिणी कश्मीर के पथरीबल में पांच लोग मारे गए थे.

सेना का दावा था कि मारे गए लोग चरमपंथी थे जो 21 मार्च को हुए सिख समुदाय पर बर्बर हमले के लिए जिम्मेदार थे.

सिख समुदाय पर हुए हमले के दौरान तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत यात्रा पर थे. इस हमले में 35 लोग मारे गए थे.

सीबीआई ने पाया था दोषी

सेना के प्रवक्ता के अनुसार, मार्च 2012 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सीबीआई जांच के उपरांत सेना ने मामले को श्रीनगर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत से ले लिया था.

सेना ने बंद किया पथरीबल मुठभेड़,उमर निराश

प्रवक्ता ने कहा, ''इस मामले में राज्य सरकार व पुलिस के अधिकारियों व बड़ी संख्या में स्थानीय गवाहों समेत 50 लोगों से पूछताछ की गई.''

18 पन्नों के अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा था कि सिख समुदाय के सदस्यों के मारे जाने के बाद इलाके में तैनात सैन्य टुकड़ी पर परिणाम दिखाने का चौतरफा मानसिक दबाव आ गया था.

प्रवक्ता के अनुसार, अतीत में, जम्मू कश्मीर में सेना के 123 जवानों को मानवाधिकार उल्लंघन के 59 मामलों में दोषी पाया जा चुका है.

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