न्यूयॉर्क में सरकारी वकील प्रीत भरारा की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है कि एक ग्रैंड जूरी ने देवयानी के ख़िलाफ़ नए सिरे से मुक़दमा चलाने की अर्ज़ी को मंज़ूरी दे दी है.

बुधवार को संघीय अदालत ने खोबरागड़े के ख़िलाफ़ चल रहे मुक़दमे को ये कहकर ख़ारिज़ कर दिया था कि जब पिछली बार ग्रैंड जूरी ने उन पर मुक़दमा चलाने के लिए मंज़ूरी दी थी, उस वक्त वो राजनयिक संरक्षण में थीं.

लेकिन अदालत ने ये भी कहा कि अमरीकी सरकार उन पर चाहे तो नए सिरे से मुक़दमा दायर कर सकती है क्योंकि अब देवयानी राजनयिक संरक्षण में नहीं हैं.

भारत सरकार ने मुक़दमा ख़ारिज़ किए जाने के फ़ैसले का स्वागत किया था लेकिन अमरीकी विदेश विभाग ने अदालत के फ़ैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया था.

ये मुक़दमा विदेश विभाग की कूटनीति सुरक्षा शाखा की तरफ़ से दायर किया गया था.

'सामान्य क़ानूनी प्रक्रिया'

अमरीकी विदेश विभाग के एक सूत्र ने बीबीसी को बताया कि ऐसे मामलों में दोबारा मुक़दमा दायर करना सामान्य क़ानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है.

इसके अलावा विदेश विभाग ने देवयानी को नौ जनवरी को अमरीकी छोड़ने का भी आदेश दिया था और उसके तहत वो अभी अमरीका नहीं आ सकतीं.

सरकारी वकील प्रीत भरारा की एक प्रवक्ता का कहना है कि सारे आरोप वही हैं जो पहले थे और देवयानी अगर अमरीका आती हैं तो उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई शुरू हो जाएगी.

उनका यह भी कहना है कि न्यूयॉर्क की अदालत में हाज़िर होने के लिए देवयानी के वक़ील डैनियल आर्शेक को नोटिस भेजा जाएगा.

देवयानी के वकील डैनियल आर्शेक ने फ़िलहाल कोई बयान नहीं दिया है लेकिन उनका कहना है कि कुछ देर में वो कोई बयान जारी करेंगे.

बुधवार के फ़ैसले से उम्मीद ज़ाहिर की जा रही थी कि शायद ये पूरा प्रकरण अब ख़त्म हुआ लेकिन अमरीकी क़ानूनी प्रक्रिया के तहत फ़िलहाल ऐसा होता हुआ नज़र नहीं आ रहा.

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