नई दिल्ली (पीटीआई)। Article 370 जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सात से अधिक जजों वाली पीठ में ही सुनवाई होनी चाहिए इस पर आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुना दिया है। सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 मामले की सुनवाई पांच जजों की बेंच ही करेगी। इसे सात से अधिक जजों वाली बेंच के पास नहीं भेजा जाएगा। बता दें कि जस्टिस एनवी रामना की अगुआई वाली 5 सदस्यीय पीठ ने 23 जनवरी को इस मामले की सुनवाई कर फैसला सुरक्षित कर लिया था। फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के हालात में बदलाव के लिए आर्टिकल 370 हटाना ही एकमात्र विकल्प था। बता दें कि एनजीओ पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (PUCL)जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन और एक हस्तक्षेपकर्ता ने मामले को एक बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग की थी।

SC says there are no reasons to refer batch of pleas challenging validity of abrogation of provisions of Article 370 to larger 7-judge bench

— Press Trust of India (@PTI_News) March 2, 2020

>

ये फैसले एक दूसरे के विरोधाभासी हैं

याचिका में इस आधार पर एक बड़ी पीठ की मांग हुई थी कि शीर्ष अदालत के दो निर्णय ऐसे हैं जिनमें पांच जजों की बेंच द्वारा विरोधाभासी विचार रखे गए थे। याचिकाकर्ता ने हावाला दिया था कि 1959 का प्रेमनाथ कौल बनाम जम्मू कश्मीर का फैसला और 1970 में संपत प्रकाश बनाम जम्मू कश्मीर मामले में अनुच्छेद 370 से जुड़ा फैसला एक-दूसरे के विरोधाभासी है। हालांकि केंद्र सरकार तथा जम्मू-कश्मीर संघ शासित क्षेत्र ने इन तर्कों का विरोध किया था। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था दोनों फैसलों में कोई विरोधाभास नहीं है। केंद्र ने पक्ष रखा कि अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दी गई संप्रभुता अस्थायी थी।

किसी भी बड़ी बेंच की जरूरत नहीं

वहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वह अटॉर्नी जनरल के तर्कों को अपनाते हैं और बड़ी पीठ के संदर्भ में कोई पक्ष नहीं रखते हैं। जम्मू और कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा था कि वह इस सवाल पर केंद्र का समर्थन कर रहे हैं। शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इसमें निजी व्यक्ति, वकील, कार्यकर्ता और राजनीतिक दल शामिल हैं और उन्होंने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को भी चुनौती दी है, जो जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करता है। केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का फैसला किया था।

National News inextlive from India News Desk