टैक्स न देने की मानसिकता
फाइनेंस मिनिस्ट्री द्वारा आयोजित डेल्ही इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि देश इस बात पर समझौता कर चुका था कि देश की बड़ी आबादी टैक्स नहीं देती है और और बड़े पैमाने पर होने वाला लेन देन सिस्टम से बाहर है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निटपने में सिस्टम असहाय महसूस कर रहा था। हर साल फाइनेंस बिल के जरिए हम कुछ बदलावों की घोषणा करते थे जिसका बहुत मामूली प्रभाव पड़ता था। उन्होंने कहा कि ऐसे में इस बात की जरूरत थी कि ऐसे कदम उठाएं जाएं जिसका प्रभाव दिखे। कुल मिला कर देखें तो सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का लंबी अवधि में बेहद सकारात्मक असर असर होगा।

इनडायरेक्ट टैक्स बेस बढेंगा
जेटली ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से अब कैश में लेन देन मुश्किल हो जाएगा। इससे निश्चित तौर पर टैक्स बेस बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था तेजी से डिजिटाइजेशन की ओर बढ़ेगी। तेजी से डिजिटाइजेशन का पहला संकेत डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स बेस बढने के तौर पर दिखने लगा है। वित्त मंत्री ने कहा कि शेल कंपनियों के जरिए बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी की जाती थी। न सिर्फ बिजनेसमैन बल्कि राजनीतिज्ञ और नौकरशाह भी करप्शन से कमाए गए पैसे को व्हाइट बनाने के लिए शेल कंपनियों का यूज कर रहे थे।

काला धन रखने वालों में खौफ
जेटली ने कहा कि न सिर्फ काले धन का पता लगाने बल्कि इसके खिलाफ बेनामी प्रॉपर्टी कानून लागू करना काला धन जेनरेट करने में अंकुश का काम करेगा। राजस्व विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है।

अब PayTM पर खरीदिए गोल्ड, आया कैशबैक का नया फॉर्मूला

Business News inextlive from Business News Desk

 

Business News inextlive from Business News Desk