मुंबई (एएनआई)। शिवसेना ने सोमवार को अपने मुखपत्र सामना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से पूछा कि क्या सत्ताधारी पार्टी की राजनीति बिना पाकिस्तान का नाम लिए आगे नहीं बढ़ सकती। शिवसेना ने यह भी कहा, 'भारतीय जनता पार्टी की सफल यात्रा के परदे के पीछे के सूत्रधार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैं। वह एक तरीके से भाजपा की अंडरगारमेंट्स की तरह हो गए हैं। ओवैसी और पार्टी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं। राज्य में जाति और धार्मिक दुश्मनी पैदा करने की पूरी तैयारी है। दो दिन पहले प्रयागराज से लखनऊ जाते समय रास्ते में असदुद्दीन ओवैसी के समर्थक जमा हो गए और उन्होंने 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए। इतने दिनों से उत्तर प्रदेश में ऐसे नारों का ब्योरा दर्ज नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही ओवैसी जगह-जगह भड़काऊ भाषण देते हैं, अपने निरंकुश समर्थकों को भड़काते हैं और फिर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' हो जाता है।

देश की राजनीति में मुस्लिम समाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है

पार्टी ने आगे दावा किया कि एआईएमआईएम प्रमुख ने पश्चिम बंगाल और बिहार में पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान समान सांप्रदायिक विभाजन करने की कोशिश की थी। अगर ओवैसी कट्टरता पर नहीं कूदते तो बिहार में सत्ता की कमान तेजस्वी यादव के हाथ में होती लेकिन एक बार जब इस व्यापारिक नीति ने वोटों को विभाजित करने और कट्टरता का सहारा लेकर जीत हासिल करने का फैसला किया, तो क्या किया जा सकता है! मुखपत्र में कहा गया है कि ओवैसी जैसे नेताओं को पहले भी कई बार 'तैयार' किया गया है और समय के साथ नष्ट कर दिया गया है। इसने कहा कि देश का मुस्लिम समुदाय समझदार हो गया है, और समझने लगा है कि उनके हित में क्या है।जब तक ओवैसी यह कहने का साहस नहीं दिखा सकते कि देश की राजनीति में मुस्लिम समाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

ओवैसी को केवल भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी के अंडरगारमेंट के रूप में देखा जाएगा

इसके अलावा मुसलमानों के देश की मुख्यधारा में आने के बिना, उन्हें उनका अधिकार, प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी तब तक ओवैसी के नेतृत्व को उन लोगों में से एक के रूप में देखा जाएगा जो वोटों को विभाजित करके अपना हित साधते हैं। सामना ने कहा कि राम मंदिर से वंदे मातरम तक, केवल विरोध की हड़बड़ी किसी मुस्लिम समाज को दिशा देने की नीति नहीं हो सकती है।मुसलमान इस देश के नागरिक हैं और उन्हें देश के संविधान का पालन करके अपना रास्ता बनाना चाहिए। जिस दिन ओवैसी में यह कहने का साहस होगा उस दिन ओवैसी को राष्ट्र के नेता के रूप में प्रतिष्ठा मिलेगी, अन्यथा उन्हें केवल भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी के अंडरगारमेंट के रूप में देखा जाएगा। क्या पाकिस्तान का इस्तेमाल किए बिना बीजेपी की राजनीति आगे नहीं बढ़ पाएगी?

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