- बचपन में पिता की बंदूकों से खेलकर असब बना शूटर

- पूरा परिवार है शूटर, पिता को था बंदूकें रखने का शौक

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nikhil.sharma@inext.co.in

Meerut : बचपन में बच्चे खिलौनों के साथ खेलते हैं। प्लास्टिक की बंदूकों से चोर पुलिस का खेल खेलते हैं, लेकिन मो। असब ने बचपन से ही असली बंदूकों से खेला। देखते ही देखते असब को इन बंदूकों से प्यार हो गया। जैसे-जैसे बड़ा हुआ तो आखिरकार उसने इन बंदूकों को ही अपनी माशूका बना लिया और निकल पड़ा देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए।

बचपन में ही हो गया प्यार

दरअसल, मो। असब के पिता अंसार अहमद को शुरुआत से ही अपने पास तरह-तरह की बंदूकों को रखने का शौक था। घर में असली बंदूकों की कोई कमी नहीं थी। बस फिर क्या था इन बंदूकों को पकड़ते-पकड़ते असब एक अंतर्राष्ट्रीय शूटर बनने की ओर कदम बढ़ा चुका था।

वो पहली बंदूक

असब के पिता अंसार अहमद बताते हैं कि असब जब बड़ा हुआ और उसने शूटिंग में अपना करियर बनाने की सोची, उस समय उसे उनकी जर्मन की ख्7 नंबर गन बहुत पसंद थी, जो इंडिया में काफी कम लोगों के पास थी। उसने ये गन पहली बार शूटिंग इवेंट में थामी और फिर अपने शुरुआती दौर के मेडलों की झड़ी उसने इसी गन से लगाई।

पूरा परिवार बन गया शूटर

सोचकर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है। जो प्यार असब के पिता अंसार अहमद को अपनी बंदूकों से था, उसे उनके बच्चों ने बड़ी शिद्दत से कबूल किया। चारो लड़कों के दिलों में बंदूकों से प्यार तो था, लेकिन उन्होंने शूटिंग में ही करियर संवारने की ठान ली। यही वजह है कि असब के परिवार के हर लड़के में शूटिंग का जुनून जाग गया। पहले सबसे बड़ा भाई अरशद ने शूटिंग में करियर बनाया और आर्मी का चीफ कोच बन गया। उनसे छोटा भाई मसद भी पिस्टल शूटर है। तो तीसरे नंबर के असब है। वहीं चौथे नंबर का भाई आमिर भी जूनियर लेवल पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शूटर है।

मैंने अपने बच्चों की आंखों में शूटिंग को लेकर जुनून देखा है। तभी तो मैंने अपने बच्चों को शूाटिंग के खेल में आगे बढ़ाया। आज असब ने नाम रोशन किया तो दिल खुश हो गया।

अंसार अहमद, असब के पिता