-मंडलीय व महिला हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों के लिए हीटर का नहीं है प्रॉपर अरेंजमेंट

-30 बेड्स के वार्ड में सिर्फ दो हीटर, वार्ड की खिड़कियों व बरामदे से ठंडी हवा आने से कांप रहे मरीज

इन दिनों शहर में पड़ रही कड़ाके की ठंड से हर किसी का बुरा हाल है। एक तरफ लोग जहां गलन से राहत पाने के लिए आग और ब्लोवर का सहारा ले रहे है, वहीं गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में मरीजों को ठंड से राहत दिलाने के लिए हॉस्पिटल प्रशासन अब तक गंभीर नहीं हो पाया है। मंडलीय व महिला हॉस्पिटल में मरीजों के लिए कहीं भी रूम हीटर या ब्लोवर का प्रॉपर इंतजाम नहीं है। इससे यहां एडमिट मरीज और उनके तीमारदार सर्दी के मारे कांप रहे हैं। मरीज अस्पताल प्रशासन की ओर से मिले महज एक कंबल के सहारे ही रात बिता रहे हैं। आलम ये है कि उनके तीमारदारों को घर से रजाई व कंबल लाने पड़ रहे हैं। वहीं अस्पताल में डॉक्टर्स व नर्सेज के रूम में दिन रात हीटर जल रहे हैं।

30 बेड के वार्ड में सिर्फ एक ब्लोवर

ऐसा पहली बार नहीं है, जब ठंड के मारे इन हॉस्पिटल्स में एडमिट मरीज कांप रहे हैं। हर साल दिसंबर माह में इन्हें हीटर न होने से मुसीबत झेलनी पड़ती है। 315 बेड के मंडलीय हॉस्पिटल में हर जगह हीटर की व्यवस्था नहीं की गई है। जहां है भी तो या तो संख्या कम है या खराब है। इस हॉस्पिटल के 20 से 30 बेड के वा‌र्ड्स में सिर्फ दो ब्लोवर लगाए गए हैं। इनमें भी कुछ चलते नहीं हैं। मरीजों की मानें तो ये ब्लोवर ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है। इतने बड़े हॉल नूमा इस वार्ड में दो हीटर काम ही नहीं करते।

जच्चा-बच्चा को भी नहीं राहत

सबसे खराब हालत राजकीय महिला अस्पताल में है। अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते 186 बेड के इस हॉस्पिटल में भी ज्यादातर वा‌र्ड्स में हीटर की व्यवस्था नहीं है। हालांकि जिन वा‌र्ड्स में लगाए भी गए हैं वो जरूरत के मुताबिक कम हैं। इसके चलते मैटरनिटी वार्ड में प्रसूता महिलाओं व बच्चों को परेशानी हो रही है। बताया जाता है कि यहां डेली 12 से 15 डिलीवरी होती है। इसके बावजूद प्रॉपर हीटर का इंतजाम नहीं किया जा रहा है।

एक नजर

-315 बेड का है मंडलीय हॉस्पिटल

-186 बेड का है महिला हॉस्पिटल

-हर जगह हैं अलग-अलग वार्ड

-एक वार्ड में 6 से 8 हीटर की जरूरत

-कुछ वार्ड में लगे हैं मात्र दो-दो हीटर।

-जबकि एक वार्ड में हैं 20 से 30 बेड

वर्जन-

अभी हीटर लगाने का काम चल रहा है। रही बात कम संख्या की तो जहां जैसी जरूरत होती है वहां वैसी व्यवस्था की जाती है।

डॉ। अरविंद सिंह, एमएस, मंडलीय हॉस्पिटल