-मान्यता है कि पिशाच मोचन के सैकड़ों साल पुराने वृक्ष में कील ठोकने पर पूरी होती है मुराद

विश्व के सबसे पुराने शहर व धर्म की नगरी काशी में आस्थावानों की कमी नहीं है. देवों के इस नगरी में कुछ ऐसे वृक्ष भी है जिनमें स्वयं भगवान का वास माना जाता है. उन्ही में से एक वृक्ष है पिशाच मोचन तालाब के पास. मान्यता हैं कि यहां मौजूद सैकड़ों साल पुराने इस विशाल वृक्ष में मात्र एक कील ठोकने भर से आस्थावानों के सारे दुख दूर हो जाते हैं.

सैकड़ों साल है पुराना है वृक्ष

स्थानीय लोगों की माने तो इस वृक्ष की कहानी सदियों पुरानी है. यहां इसका जन्म कब और कैसे हुए उसे बताने वाले मौजूद नहीं हैं.

कुछ लोगों का कहना हैं कि इस वृक्ष की उनकी दर्जन भर पीढ़ी पूजा कर चुकी है. पिशाचमोचन पर पूजा पाठ कराने वाले पंडित लक्ष्मी शंकर बताते हैं कि इस वृक्ष का इतिहास बहुत पुराना है.

परदादा के समय भी ऐसे ही है खड़ा

हिन्दू परम्परा में पीपल के विशाल वृक्ष को पूज्य माना जाता है. मान्यता है कि इसके पूजन और इसके जड़ में जल देने से पुण्य की प्राप्ति होती है. लक्ष्मी शंकर बताते हैं कि उनके दादा के अलावा कई पीढ़ीयां यहां पूजा पाठ करा चुकी हैं. तब से ये वृक्ष वैसे ही आज भी खड़ा है. यहां आने वाले लोगों की आस्था आज भी इस वृक्ष से बनी हुई है. मान्यता हैं कि इस वृक्ष में लोग मुराद पूरी करने के लिए कील ठोंकते है. जब उनकी मनचाही मुराद पूरी हो जाती है तो वह इस कील को आकर निकाल जाते है.

किया गया संरक्षित

पीपल के वृक्ष की को संरक्षित करने के लिए इसलिए इसके चारों तरफ बाउंड्री कराकर पार्क का रूप दिया गया है. पित्तृपक्ष के समय यहां लोगों की भारी भीड़ होती है. उस दौरान आने वाले लोग मानते हैं अगर इस वृक्ष के पास बैठकर किसी गलती की क्षमा मांगे तो सब ठीक हो जाता है.