- प्रेम में त्याग की उपेक्षा का परिणाम होता है कष्टकारी

- नाटक के जरिये प्रेम की भावनाओं का हुआ मंचन

ALLAHABAD: प्रेम की महत्ता सर्वोपरि है। इसका तिरस्कार अंतत: वेदना और प्रेम पीड़ा को ही जन्म देता है। प्रेम में त्याग की उपेक्षा का परिणाम कितना कष्टकारी होता है, इसकी सजीव प्रस्तुति सोमवार को एनसीजेडसीसी हॉल में मंचित नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' में देखने को मिली।

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद की ओर से आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह के दूसरे दिन संकल्प नाट्य समिति बीकानेर द्वारा मोहन राकेश लिखित नाटक आषाढ़ का एक दिन का मंचन किया गया।

तो नहीं हो पाता कालिदास-मल्लिका का मिलन

कालिदास और उनकी प्रेयसी मल्लिका के प्रेम को समर्पित इस नाटक में कवि कालिदास के यश को बढ़ाने के लिए मल्लिका उन्हें उज्जयिनी भेजती हैं। जिससे वे अपनी काव्य प्रतिभा को निखार सकें। कालिदास उज्जयिनी जाते हैं और वहां के ऐश्वर्य और भोग में डूब कर अपनी प्रेयसी को भूल जाते हैं। मल्लिका उनकी प्रतीक्षा करती रहती है। भोग और ऐश्वर्य से मोह भंग होने पर कालिदास लौटते हैं और एक नवजीवन जीने का प्रयास करते हैं। तब तक देर हो चुकी होती है। मल्लिका और उनका प्रेम वैराग्य की भेंट चढ़ जाता है। उनका मिलन नहीं हो पाता।