कानपुर। 29 अप्रैल 1979 को दिल्ली में जन्में आशीष नेहरा आज अपना 41वां जन्मदिन मना रहे। नेहरा भारत के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज रहे हैं। अपने 18 साल के करियर में नेहरा अक्सर टीम से अंदर-बाहर होते रहे। मगर उन्होंने जब-जब टीम में वापसी की, तहलका मचा दिया। यही वजह है कि नेहरा जी को कमबैक खिलाड़ी कहा जाता है। करीब दो दशक तक भारत के लिए खेलना आसान नहीं होता, नेहरा के लिए भी यह मुश्किल था। खासतौर से उनकी जितनी इंजरी हुई, उतनी शायद ही किसी दूसरे गेंदबाज को हुई हो।

सहवाग के साथ देखा था क्रिकेटर बनने का सपना

आशीष नेहरा और वीरेंद्र सहवाग बचपन के दोस्त हैं। दोनों दिल्ली के रहने वाले हैं और साथ ही क्रिकेट की एबीसीडी सीखी। नेहरा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, सहवाग अपने स्कूटर से उन्हें घर में लेने आते थे। फिर वह दोनों एक साथ मैदान जाते और प्रैक्टिस करते। बस यही उनकी जिंदगी बन गई थी। हालांकि दोनों की मेहनत रंग लाई। सहवाग जहां भारतीय क्रिकेट इतिहास के बेहतरीन बल्लेबाजों में गिने गए, वहीं नेहरा ने अपनी गेंदों से कई बार भारत को मैच जिताए।

साल 1999 में खेला पहला इंटरनेशनल मैच

आशीष नेहरा ने साल 1999 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। यह उनके करियर का पहला इंटरनेशनल मैच था। उस वक्त नेहरा की उम्र 20 साल थी। मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में नेहरा का पहली बार खेलना का मौका मिला था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि पतला-दुबला यह लड़का इतने साल क्रिकेट खेल लेगा। 24 जून 2001 को जिंबाब्वे के खिलाफ आशीष नेहरा ने करियर का पहला वनडे मैच खेला। इस मैच में नेहरा ने 2 विकेट लेकर सेलेक्टर्स को जाहिर करवा दिया था कि वो लंबी रेस के घोड़े हैं। इसके बाद उन्हें कई मैचों में खेलने का मौका मिला, और उनका प्रदर्शन लगातार बेहतर से और बेहतर होता गया।

जब सूजे पैर के साथ खेला वर्ल्डकप

आशीष नेहरा से जुड़ा एक किस्सा काफी फेमस है। ये बात साल 2003 की है, जब एक वर्ल्डकप मैच से पहले नेहरा के पैर में सूजन आ गई। इसके बावजूद वह मैदान में उतरे और अपने करियर की सबसे शानदार गेंदबाजी कर गए। 2003 विश्व कप का आयोजन साउथ अफ्रीका, जिंबाब्वे और केन्या ने मिलकर किया था। इस टूर्नामेंट में 14 टीमों ने हिस्सा लिया। फाइनल मुकाबला भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया जिसमें भारत को 125 रन से हार मिली। मगर इंडिया को फाइनल तक पहुंचाने में उस वक्त युवा तेज गेंदबाज आशीष नेहरा का अहम योगदान रहा। यह मैच आशीष नेहरा को ताउम्र याद रहेगा। मैच से ठीक पहले उनके पैर में चोट लग गई थी, नेहरा का पैर काफी सूज गया था। सभी को लगा कि नेहरा इंग्लैंड के खिलाफ नहीं खेल पाएंगे लेकिन इस गेंदबाज का जुनून देखिए जख्मी पैर के साथ मैदान में उतरा और इतिहास रच दिया। उस मैच में नेहरा ने 23 रन देकर 6 विकेट चटकाए थे यह उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यही नहीं वर्ल्ड कप में किसी भारतीय गेंदबाज का अभी तक बेस्ट स्पेल है।

अजहर की कप्तानी में डेब्यू, विराट की कैप्टेंसी में संन्यास

यह सुनकर थोड़ी हैरानी हो सकती है मगर नेहरा ने अपने करियर में कुल 8 कप्तानों के साथ मैच खेला था। नेहरा ने अजहर की कप्तानी में डेब्यू किया था। वहीं आखिरी मैच उन्होंने विराट कोहली की कप्तानी में खेला। नेहरा ने साल 2017 में इंटरनेशनल क्रिकेट से विदाई ली। यह एक टी-20 मैच था। नेहरा ने आईपीएल और इंटरनेशनल टी-20 मैच मिलाकर कुल 131 मैच खेले हैं जिसमें उनके नाम 162 विकेट दर्ज हैं। 18 बार उन्होंने 3 विकेट लिए।

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