एनसीआरटीसी ने मांगी एएसआई से जानकारी, कहा-बता दें कहां पर है पुरातत्व निर्माण

एएसआई ने एनसीआरटीसी से एलाइनमेंट की जानकारी मांगी

Meerut। दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल की राह में ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की एनओसी आड़े आ रही है। विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) हरेंद्र अग्रवाल ने संरक्षित स्मारक के समीप से गुजर रहे रैपिड रेल कॉरीडोर पर नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) और एएसआई से जबाव-तलब किया था। जिस पर एनसीआरटीसी ने एएसआई से स्मारक के संबंध में जानकारी मांगी। एएसआई ने पहले दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरीेडोर का एलाइनमेंट देने की बात एनसीआरटीसी से कही है।

संरक्षित इमारतों का मुद्दा

एमएलसी हरेंद्र अग्रवाल ने एएसआई संरक्षित गाजियाबाद में मेरठ तिराहे के समीप स्थित सेमेटेरी के बारे में संज्ञान लेते हुए एनसीआरटीसी और एएसआई को पत्र लिखा। उन्होंने बताया कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मारे गए अंग्रेजों की कब्रें यहां हैं। उन्होंने कहाकि रैपिड रेल कॉरीडोर को यहां से गुजारने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि पुरातत्व की दृष्टि से अंग्रेजों की कब्र को क्षति न पहुंचे। गौरतलब है कि मेरठ में 5 संरक्षित स्मारक और स्थल एएसआई प्रोटेक्टेड हैं, जिसमें गाजियाबाद-मेरठ रोड पर स्थित यह सेमेटेरी भी शामिल है।

एएसआई से पूछा

एमएलसी के पत्र के बाद एनसीआरटीसी ने एक पत्र लिखकर एएसआई से सराय काले खां से मेरठ के बीच संरक्षित इमारतों और स्थलों के बारे में जानकारी मांगी, साथ ही एएसआई से एनओसी जारी करने के लिए कहा। इस पत्र के साथ एनसीआरटीसी से कॉरीडोर का रूट नहीं खोला था, जिस पर एएसआई के संरक्षण सहायक मुकेश बाबू ने एनसीआरटीसी को दोबारा पत्र लिखकर कॉरीडोर के एलाइनमेंट के बारे में जानकारी मांगी है। संरक्षण सहायक ने कहा कि एनसीआरटीसी द्वारा एलाइनमेंट मिलने के बाद ही विभाग परीक्षण कर पाएगा कि यह संरक्षित स्थलों के समीप से तो नहीं गुजर रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संरक्षित इमारतों, स्थलों से 300 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के निर्माण या जीर्णोद्धार पर रोक है।