लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री ने डॉ। जोशी के समर्थन में पहली बार की थी पीडी टंडन पार्क में जनसभा

ALLAHABAD: लोकसभा चुनाव के दौरान देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई पार्टी प्रत्याशी डॉ। मुरली मनोहर जोशी के समर्थन में पहली बार वर्ष 1996 में सिविल लाइंस स्थित पीडी टंडन पार्क में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। मंच संभालते ही उनके हाथों में एक कागज दिया गया। इसे हालैण्ड हाल हॉस्टल के छात्र गौरी शंकर उपाध्याय ने उनके पास पहुंचाया था। श्री उपाध्याय के साथ पार्क में मौजूद रविनंदन सिंह ने बताया कि कागज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का दर्द लिखा हुआ था। इसके दो शेर की पंक्तियों को जब अटल जी ने सुनाया तो वहां पर श्री उपाध्याय व रविनंदन सिंह के साथ मौजूद दर्जनों छात्रों ने दस मिनट तक जमकर तालियां बजाई थी।

वो पंक्तियां जो अटल ने पढ़ी

'यह हवा यारों मेरी लौ को बढ़ाने के लिए, मैं सुलगता हूं फख्त कुछ कर के दिखाने के लिए। हम यूं तो मरेंगे ना गुमनाम रहेंगे गौरी, वक्त तरसेगा मुझे अपना बनाने के लिए'। गौरी शंकर उपाध्याय ने अपनी गजल के इसी शेर को एक कागज में लिखकर अटलजी के पास पहुंचाया था। हिन्दुस्तानी एकेडेमी के कोषाध्यक्ष रविनंदन सिंह बताते हैं कि अटल जी ने गौरी की इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद कहा था कि यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक छात्र ने मुझे भेजा है। मैं उसके जज्बे को सलाम करता हूं। उसने छात्रों की आवाज को मुझ तक पहुंचाने का काम किया है।

साहित्यिक रुझान बनी वजह

श्री सिंह बताते है कि पार्क में सभा होने से पहले गौरी ने छात्रों का दर्द बताने के लिए यह शेर लिखा था। हास्टल में रणनीति बनी थी कि अटल जी साहित्यिक रुचि के व्यक्ति है किसी तरह उन तक कागज पहुंच सके। हम लोग अपने दो दर्जन साथियों के साथ मंच के ठीक सामने बैठे थे। आगे पुलिस का पहरा था तभी एक भाजपा पदाधिकारी को कागज दिया गया और उनसे अनुरोध किया कि अटल जी तक उसे पहुंचा दें। कागज उन तक पहुंचा तो उन्होंने माइक संभालते ही कागज पर लिखी पंक्तियों को पढ़कर सुनाया।