RANCHI: 15 नवंबर 2000 को जब अलग राज्य के रूप में झारखंड अस्तित्व में आया, तो दक्षिण बिहार के इस हिस्से के करोड़ों लोगों की पचास साल पुरानी मांग पूरी हुई। इस राज्य के गठन में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी का सबसे बड़ा योगदान था। तब बिहार से अलग एक नये राज्य के गठन की राह में कई सियासी पेंच भी थे। इसके बावजूद हर तरह के राजनीतिक विरोध का सामना करते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के साथ-साथ झारखंड के गठन का भी रास्ता साफ कर दिया। झारखंड आंदोलन के अगुआ रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन कहते हैं, हमने जो आंदोलन किया, उसका परिणाम अलग राज्य है लेकिन अटलजी के कारण अलग राज्य का निर्माण हुआ। झारखंड उनकी ही देन है।

दरअसल झारखंड गठन के पूर्व राज्य के नाम को लेकर भी भारी जिच थी। भाजपा ने प्रदेश का नाम वनांचल रखने की मांग की थी। संयुक्त बिहार में भाजपा की स्थानीय कमेटी को वनांचल कमेटी कहा जाता था। 1998 में लोकसभा में वनांचल के नाम से विधेयक भी पारित हुआ लेकिन बाद में अटलजी के समक्ष बिहार से अलग होकर बनने वाले प्रदेश का नाम झारखंड रखने का प्रस्ताव आया तो उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी इस पल के साक्षी रहे हैं।

आदरणीय श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के देहांत से मन बेहद विचलित है। आज मैंने अपने पिता समान गुरू को खो दिया है। उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। झारखंड के जनक अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन से आज पूरा देश शोक में डूब गया है। अटल जी का सामाजिक जीवन अनंत काल तक आने वाली पीढि़यों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा। उनके जाने से भारत की राजनीति में जो शून्यता आई है उसे भर पाना असंभव होगा। युगपुरुष भारतरत्‌न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को शत-शत नमन।

रघुवर दास, मुख्यमंत्री, झारखंड