चोट के कारण नहीं पहुंच सकीं कार्यक्रम में
शनिवार को डाला को शहर में अपने उपन्यास 'व्हाट अबाउट मीरा' को जारी करना था. ठीक उसी दिन दक्षिण अफ्रीका में मानवाधिकार दिवस का भी आयोजन किया गया, लेकिन हमले में चोटों से जूझने के कारण उन्हें अपना यह कार्यक्रम रद्द करना पड़ा. हमले को लेकर बताया जाता है कि तीन लोगों ने पहले उनका पीछा किया. उसके बाद उनकी कार को जबरदस्ती सड़क पर रोक दिया गया.

कुछ ऐसे हुआ हमला
कार को रोकने के बाद बाद दो आदमी उनकी गाड़ी के पास आए. उनमें से एक व्यक्ति ने उनकी गर्दन पर चाकू रखा और दूसरे ने उनके चेहरे पर ईंट से वार कर दिया. सिर्फ इतना ही नहीं इस दौरान उनके साथ उन लोगों ने गाली-गलौज भी की. घटना के बाद से वह काफी सहम गईं थीं. इसको लेकर डाला कहती हैं कि उनका मानना है कि यह हमला सलामन रश्दी पर उनकी एक टिप्पणी को लेकर किया गया.

एक नजर पीछे भी
बताते चलें कि यह टिप्पणी उन्होंने सप्ताह के शुरुआत में स्कूलों के लेखन मंच के दौरन की थी. यहां उनसे और दो अन्य लेखकों से उनके पसंदीदा लेखकों के बारे में टिप्पणी करने को कहा गया था.  इस बाबत डाला ने बताया कि उन्हें रश्दी और भारतीय लेखिका अरुंधति राय की शैली बहुत ज्यादा अच्छी लगती है. सो अपनी स्वतंत्रता को भांपते हुए उन्होंने जो उचित समझा वो कह दिया. इसके चलते विरोध स्वरूप कई अध्यापक और छात्र कार्यशाला से बाहर भी चले गए, क्योंकि उन्हें मेरे विचार बिल्कुल भी पसंद नहीं आए.

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