Officers का self amendment
यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने स्टूडेंट्स के प्रेशर में आकर यूनियन के पुराने स्वरूप को तो बहाल कर दिया है, लेकिन इलेक्शन पुराने स्वरूप में कराने को तैयार नहीं हैं। लिंगदोह समिति की सिफारिशों को लागू करने के साथ ही ऑफिसर्स ने कुछ सेल्फ एमेंडमेंट भी किए हैं। एमेंडमेंट में क्वालिफाईंग स्पीच (दक्षता भाषण) व मशाल जुलूस जैसी सालों पुरानी परंपरा पर ब्रेक लगाने का डिसीजन लिया गया है। जबकि इन एक्टिविटी का विरोध न ही लिंगदोह की सिफारिश में है और न ही यूनिवर्सिटी की ओर से तैयार किए गए रेगुलेशन में है.
इनके हैं कुछ अपने तर्क
क्वालिफाईंग स्पीच व मशाल जुलूस पर प्रतिबंध लगाने का डिसीजन यूनिवर्सिटी के कुछ ऑफिसर्स का है। इसके लिए उनके पास अपने कुछ तर्क भी हैं। उनका कहना है कि इन सालों पुरानी परंपराओं पर प्रतिबंध लगाने की इच्छा उनकी भी नहीं है। लेकिन वे ये सब मजबूरी में कर रहे हैं। ऑफिसर्स का तर्क है कि क्वालिफाईंग स्पीच हो या फिर मशाल जुलूस, दोनों ही में कैंडिडेट्स के बीच संघर्ष की स्थिति आ जाती है। जो बाद में व्यक्तिगत दुश्मनी के रूप में बदल जाती है। बीते इलेक्शन में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिले हैं.
Favour है police
सोर्सेज के मुताबिक पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन भी यूनिवर्सिटी के इस डिसीजन के फेवर में है। वे भी इलेक्शन टाइम में किसी भी तरह का सिरदर्द नहीं चाहती हैं। दरअसल क्वालिफाईंग स्पीच से लेकर मशाल जुलूस निकलने तक पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। स्टूडेंट लीडर्स के बीच कोई विवाद न हो, इसके लिए जगह-जगह भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की जाती है। जाहिर है क्वालिफाईंग स्पीच और मशाल जुलूस पर प्रतिबंध लगने से पुलिस का ये सिरदर्द कम हो जाएगा। शायद यही कारण है कि यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की इस राय में पुलिस की भी हां है.
Colleges भी करेंगे follow
सोर्सेज की मानें तो यूनिवर्सिटी के इस डिसीजन को कॉलेज एडमिनिस्टे्रशन भी यूनियन इलेक्शन में फॉलो करने का मूड बना रहे हैं। वे भी कॉलेज में होने वाले इलेक्शन में यूनिवर्सिटी की तरह ही क्वालिफाईंग स्पीच व मशाल जुलूस पर प्रतिबंध लगाएंगे। हालांकि स्टूडेंट्स ने भनक लगते ही इस डिसीजन का विरोध करने शुरू कर दिया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि इसकी ऑफिसियल घोषणा होने के बाद वे सड़क पर उतर का विरोध प्रदर्शन करेंगे.
स्पीच से काबिलियत का अंदाजा
यूनियन इलेक्शन से एक रोज पहले दिन में क्वालिफाईंग स्पीच (दक्षता भाषण) होती रही है। इलेक्शन में किस्मत आजमाने वाले कैंडिडेट इस स्पीच को विशेष रूप से तैयार किया करते थे। क्योंकि इस स्पीच से कैंडिडेट्स की काबिलियत का अंदाजा लगाया जाता था। यूनियन हॉल के प्राचीर से होने वाले इस स्पीच को सुनने के लिए भारी संख्या में आम स्टूडेंट के साथ अन्य दूसरे शहरों के स्टूडेंट लीडर भी जमा होते थे.
मशाल जुलूस से जीत का अंदाजा
कुछ ऐसी ही स्थिति मशाल जुलूस की रही। इलेक्शन से एक दिन पहले शाम निकलने वाला ये जुलूस कैंडिडेट्स की जीत हार का फैसला होने जैसा होता था। स्टूडेंट जब हाथ में मशाल लेकर जुलूस के रूप में निकलते थे तो यूनिवर्सिटी के आस-पास का पूरा इलाका मशाल की रोशनी से रौशन हो उठता था। ये जुलूस डिफरेंट ब्वॉयज हॉस्टल्स के साथ वूमेंस कॉलेज (गल्र्स हॉस्टल) में जाया करता था.