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KANPUR: डिस्लेक्सिया एक ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से इफैक्टेड बच्चों को पढ़ने-लिखने में दिक्कत आती है। अगर आंकड़ों की भाषा सुनें तो भारत में लगभग 3.5 करोड़ डिस्लेक्सिया से पीडि़त बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। ऐसे बच्चों की हेल्प करने के लिए मुंबई के मुकेश पटेल स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग के चार स्टूडेंट्स तुषार गुप्ता, मुदिता सिसोदिया, शेजीन फैजुलभोय और मिताली राजू ने मिलकर ऑगमेंट 11 वाय नाम का एक ऐप तैयार किया। ये ऐप डिस्लैक्सिया इफैक्टेड बच्चों को पढ़ने-लिखने में बेहद डिफरेंट तरह से हेल्प करता है।

ऐसे करता है ये काम

यह ऐप मोबाइल फोन में मौजूद कैमरे की हेल्प से डिस्लेक्सिया से पीडि़त बच्चों को स्टडी में हेल्प करता है। यह ऐप ऑगमेंटेड रियालिटी टेक्निक पर बेस्ड है, जो एक स्पेशल फॉर्मेट में कॉन्टेंट प्रेजेंट करता है। इसमें कस्टमाइज करने की फैसेलिटी के साथ कई और फीचर्स भी हैं, जो डिस्लैक्सिया के बच्चों के लिए पढ़ना आसान बना देते हैं।

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दुनिया के कोने-कोने तक

ऐप को माल्टा, नीदरलैंड्स, कनाडा, यूएस, आयरलैंड, यूके और नाइजीरिया के यूजर्स भी यूज कर रहे हैं। एप के को- फाउंडर तुषार बताते हैं कि 12 से 14 साल के डिस्लैक्सिया पीडि़त बच्चों के साथ ऐप को टेस्ट करने पर पाया था कि हर बच्चे को पढ़ने के लिए लगने वाले समय में 21 प्रतिशत तक कटौती हुई है। 93 प्रतिशत बच्चों ने माना कि ऐप में मौजूद बैकग्राउंड और टेक्स्ट के बीच कॉनट्रास्ट के खास फीचर की हेल्प से उन्हें हेल्प मिली।

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