बुर्के पर प्रतिबंध पर बहस
आपको बता दें कि पिछले काफी समय से ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं के बुर्के पर प्रतिबंध की बात चल रही थी. इस पर कई बार बहस भी हो चुकी है. अंत में बहस खत्म होने पर संसद के सदस्यों ने यह नया नियम घोषित कर दिया है.  एक दिन पहले बुधवार को प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कहा था कि वह मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने इच्छा जताई थी कि इसे ऑस्ट्रेलिया की संसद में न पहना जाए. संसदीय सेवा विभाग के अनुसार, सुरक्षा नीति की समीक्षा के दौरान यह फैसला किया गया. विभाग ने कहा, जो अपने चेहरे को ढककर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स या सीनेट चैंबर्स की कार्यवाही देखना चाहते हैं, उन्हें बंद गलियारों में बैठाया जाएगा. इससे वे अपनी पहचान उजागर किए बिना चैंबर के गलियारों में प्रवेश कर सकते हैं.'

इंट्री पास की होगी समीक्षा
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, संसद भवन की प्रवेश पास नीति की भी पूरी समीक्षा की जा रही है. स्पीकर ब्रोनेन बिशप और सीनेट के अध्यक्ष स्टीफन पैरी ने लिबरल सीनेटर कोरी बनार्डी के अनुरोध पर नए नियमों को मंजूरी दी है. बनार्डी ने संसद भवन में धार्मिक पहनावे पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

बुर्का उत्पीड़न का प्रतीक
संसद के स्पीकर ब्रोनेन बिशप और सीनेट के अध्यक्ष स्टीफन पैरी ने लिबरल सीनेटर कोरी बर्नार्डी के अनुरोध पर नये नियमों को मंजूरी दी. उन्होंने अनुरोध किया कि संसद की इमारत में धार्मिक आधार पर सिर पर कपड़ा पहनने पर प्रतिबंध लगाया जाये. बर्नार्डी का मानना है कि बुर्का गैर ऑस्ट्रेलियाई है और उत्पीड़न का प्रतीक है, लेकिन वह सुरक्षा के लिहाज से इसे संसद में प्रतिबंधित करना चाहते हैं.

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