-क्राइम ब्रांच ने चोरों के गैंग का किया पर्दाफाश

-होमगार्ड समेत 8 गिरफ्तार, 19 दोपहिया वाहन बरामद

BAREILLY: शहर में लगातार हो रही वाहन चोरियों में होमगार्ड का ही हाथ था। होमगार्ड वाहन चोरों से चोरी करवाता था और जब चेकिंग में चोरी का वाहन पकड़ा जाता था तो उसे फोन करके छुड़वाता भी था। वह खुद वर्दी पहनकर चोरी की बाइक की सप्लाई करता था, ताकि चोरी की गाड़ी पकड़ी न जाए। अब तक वह 100 से अधिक वाहन चोरी करवा चुका था। क्राइम ब्रांच ने गैंग का पर्दाफाश करते हुए होमगार्ड समेत 8 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके पास से चोरी के 19 दोपहिया वाहन बरामद किए हैं।

हर बार होमगार्ड की सिफारिश

एसपी रूरल डॉ। सतीश कुमार ने पुलिस लाइंस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बार-बार सूचना मिल रही थी कि चोरी के वाहन में होमगार्ड वेदप्रकाश का नाम सामने आ रहा है। वेदप्रकाश बारादरी थाना में लंबे समय से तैनात था और मौजूदा समय में उसकी ड्यूटी डेलापीर सब्जी मंडी में चल रही है। पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो उसने पूरे गैंग का खुलासा कर दिया। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर चोरी के मास्टरमाइंड मोहन कश्यप निवासी माधोबाड़ी प्रेमनगर को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद पुलिस ने उसके साथी असीर हाशमी निवासी ईट पजाया चौराहा बारादरी, जुबिन सिंह निवासी माधोबाड़ी बारादरी, साजिद निवासी शहदाना बारादरी और सर्वेश कश्यप निवासी सिकलापुर कोतवाली को पकड़ लिया। पुलिस ने फर्जी कागज तैयार करने वाले गिरीश राणा निवासी कालीबाड़ी और फिरोज उर्फ राजू निवासी कांकर टोला को भी पकड़ा है।

ढाई वर्ष से चल रहा नेटवर्क

पुलिस पूछताछ में आया कि मोहन कश्यप अपने साथियों जुबिन और सर्वेश कश्यप से वाहन चोरी करवाता था। वाहन चोरी पुरानी चाबी या लॉक तोड़कर करते थे। वाहन चोरी के बाद होमगार्ड वेदप्रकाश, असीर हाशमी और साजिद के पास पहुंचा दिया जाता था। साजिद बाइक मिस्त्री है। वह गाड़ी का इंजन नंबर और चेचिस नंबर बदल देता था और गाडि़यों के पा‌र्ट्स भी बेच देता था। होमगार्ड, असीर और साजिद ग्राहकों की तलाश कर उन्हें महंगे दाम में बेच देते थे। यह गैंग करीब ढाई वर्ष से काम कर रहा था लेकिन कभी पुलिस गिरफ्त में नहीं अाया था।

फर्जी मोहरों से कागज तैयार

होमगार्ड वेदप्रकाश आरटीओ ऑफिस के दलाल फिरोज और गिरीश राणा से फर्जी कागजात तैयार करवाते थे। वह गाड़ी में मिले कागजात फाड़ देते थे। पूछताछ में दलालों ने बताया कि वह फर्जी मोहरें रखते थे और इसी से कागज तैयार करते थे। एक महीने से ऑनलाइन सिस्टम होने के बाद उन्होंने फर्जी कागजात नहीं बनाए थे। पुलिस को तीन आरसी मिली हैं, जो खुद वेदप्रकाश के नाम से हैं।

5 हजार से 15 हजार में बिक्री

चोरी करने के बाद बाइक होमगार्ड व उसके साथियों को 5 हजार रुपए में बेच दी जाती थी। उसके बाद गाड़ी के फर्जी कागजात बनाकर उसे 15 हजार रुपए में तक बेचा जाता था। उसी में होमगार्ड अपना हिस्सा ले लेता था। पुलिस की वर्दी पहनने के चलते उस पर कोई शक भी नहीं करता था। पकड़े जाने पर वह गाड़ी बेचने की बात कह देता था।