दो दिन बाद पेश होने वाले आगामी आम बजट से ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी ढेर सारी उम्मीदें हैं। जीएसटी लागू होने के बाद थोड़ा मुश्किल में आया ऑटोमोबाइल सेक्टर चाहता है कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के सफल संचालन के लिए इन वाहनों के उपकरणों पर टैक्स में रियायती मिलनी चाहिए। इसके अलावा आम आदमी को डीजल हो या पेट्रोल सभी वाहनों पर लगने वाले टैक्स में करीब 15 परसेंट की कटौती होनी चाहिए। क्योंकि जब तक वाहनों पर टैक्स रेट कम नहीं होगा, लोगों की परचेजिंग पॉवर नहीं बढ़गी। मैक्सिमम एवरेज रेट वाले वाहनों पर तो छूट भी मिलनी की ख्वाहिश ऑटोमोबाइल सेक्टर लगाए बैठा है। बजट से ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े बिजनेसमैन को क्या आस है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जानने का प्रयास किया अपने अभियान 'दिल चाहता है' के जरिए

BAREILLY:

कम टैक्स से बढ़ेगी परचेजिंग

कोरल मोटर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया कि 'इंडस्ट्री बॉडी सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स 'सियाम' ने सरकार से सिफारिश की है कि सरकार आगामी आम बजट में भारी कर कटौती के रूप में अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में इन्सेंटिव प्रोत्साहन की बहाली करें। इससे कंपनियों के लिए प्रत्यक्ष कर देयता मौजूदा करीब 35 परसेंट से घटकर 25 परसेंट हो जाएगी। यदि ऐसा हुआ तो वाहन सस्ते होंगे और उनकी बिक्री अधिक होगी। जिससे सरकार को भी घाटा नहीं होगा। क्योंकि कटौती से बिक्री में ग्रोथ आना तय है। वाहनों पर तमाम तरह के टैक्स कम नहीं होंगे, तब तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में बूम संभव नहीं।

आम आदमी पर बोझ कम हो

बांके बिहारी हीरो के डायरेक्टर नमित के मुताबिक जब तक आम आदमी की आय नहीं बढ़ेगी तब तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में कोई खास परिवर्तन नहीं होगा। बजट से उम्मीद है कि वह आम आदमी पर पड़ने वाली टैक्स की मार को कम करे। करीब 5 लाख तक का टैक्स स्लैब होने के बाद ही कुछ राहत की संभावना है। वाहन परचेज करना आज सफल आदमी की पहचान बन चुका है। ऐसे में सरकार भी मानती है कि जिसके पास वाहन है वह आर्थिक कमजोर नहीं, लेकिन इस क्षमता के साथ ही गाढ़ी कमाई को बेहतर यूज और सेविंग के लिए जरूरी है कि वाहन पर लगने वाले करीब 40 परसेंट टैक्स को कम करना जरूरी है।

जीएसटी कम होने के बाद बूम

शील किशन होंडा के डायरेक्टर अर्चित सेठी ने बताया कि वर्तमान में वाहनों पर करीब 28 परसेंट जीएसटी लग रही है जिसे कम करना चाहिए। जिससे वाहन परचेज करने के बाद उसकी सर्विसिंग में कोई प्रॉब्लम न हो। क्योंकि एसेसरीज पर पहले से ही जीएसटी लगी होती है और इसके बाद फिर से टोटल अमाउंट पर जीएसटी लग जाती है जिससे कस्टमर्स को पे करना मुश्किल होता है। सरकार आम आदमी के लिए काम कर रही है, इसीलिए जीएसटी लागू हुई है, लेकिन अभी इसमें कई असमानताएं हैं। जिसमें सुधार की जरूरत है। क्योंकि आम आदमी की परचेजिंग पॉवर ही ऑटोमोबाइल सेक्टर में बूम की उम्मीद जगाती है।

आधी कीमत तो टैक्स देते हैं।

फोर और टू व्हीलर्स के शौकीन बिजनेसमैन मदन भाटिया ने बताया कि व्हीकल्स लेटेस्ट डिजाइन के साथ मार्केट में अवेलेबल हैं। तमाम खूबियों से लैस होने के बाद वाहनों से लोगों की दूरी बनी हुई है, जिसकी बड़ी वजह है इनकी हाई प्राइस। बाइक हो या फोर व्हीलर दोनों पर तकरीबन 30 परसेंट एकमुश्त टैक्स लगता है। जिससे 50 हजार की बाइक करीब 70 और 5 लाख का फोर व्हीलर 8 लाख रुपए तक पहुंच जाती है। जिससे अच्छी परचेजिंग नहीं हो पाती। चंद लोगों तक ही फ्यूल एफिशिएंसी वाहन ही पहुंच पाते हैं। यदि आम बजट में टैक्स से राहत मिल जाए तो आम आदमी की परचेजिंग पॉवर बढ़ जाएगी।