अवैध खनन की जांच सीबीआई को

हाईकोर्ट का आदेश, छह हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट तलब, 8 सितंबर को सुनवाई

प्रदेश के कई जिलों से दाखिल की गई याचिकाओं पर हाई कोर्ट का आदेश

LUCKNOW: सरकार का दावा है कि प्रदेश में कहीं भी अवैध खनन नहीं हो रहा है। प्रिंसिपल सेक्रेट्री के इस बयान पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की और कहा है कि यह आंख में धूल झोंकने जैसा है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए पूरे प्रदेश में अवैध खनन की जांच सीबीआई को सौंप दी है और छह हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट मांगी है। याचिका की अगली सुनवाई 8 सितम्बर को होगी।

प्रदेश में कहीं अवैध खनन नहीं

यह आदेश एक्टिंग चीफ जस्टिस वीके शुक्ल तथा जस्टिस एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने विजय कुमार द्विवेदी व दर्जनों जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह, शेखर शशि, प्रकाश राय व देवव्रत मुखर्जी ने बहस की। याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि अवैध खनन पर रोक के लिए प्रत्येक जिले में अधिकारियों की टीम गठित कर दी गई है। टीम से प्राप्त सूचना के तहत अवैध खनन नहीं हो रहा है। नाराज हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रमुख सचिव का यह कहना कि उन्हें किसी भी जिले में अवैध खनन की सूचना नहीं है। यह आंख में धूल झोंकने जैसा है। कोर्ट का कहना था कि कमेटी ने क्या कार्यवाही की, इसकी जानकारी नहीं दी गई। कमेटी ने जांच की या नहीं कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में यह कहना सही नहीं कि अवैध खनन नहीं हो रहा है।

सीनियर ऑफिसर से ऐसी उम्मीद नहीं

हाई कोर्ट ने कहा ऐसे वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से ऐसा हलफनामा दाखिल करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। कोर्ट ने अवैध खनन पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद माफियाओं पर अंकुश न लगाने व अवैध खनन जारी रखने की शिकायतें आ रही हैं। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से कहा था कि सेटेलाइट मैपिंग कराई जाए ताकि अवैध खनन का पता चल सके। इसके जवाब में प्रमुख सचिव ने प्रदेश में ऐसी तकनीकी न होने के कारण सेटेलाइट मैपिंग कराने में असमर्थता प्रकट की। कोर्ट ने कहा कि नदियों से अवैध खनन की शिकायतें आ रही हैं और सरकार को दिखाई नहीं दे रहा। याचिका में अवैध खनन की निष्पक्ष जांच की मांग की गई थी।

याचिकाएं देवरिया, संभल, बदायूं, बागपत, कौशांबी, शामली, जालौन, बांदा, हमीरपुर सहित कई अन्य जिलों से दाखिल की गई है। कोर्ट ने शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए पूरे प्रदेश में अवैध बालू खनन के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है।

प्रमुख सचिव का यह कहना कि उन्हें किसी भी जिले में अवैध खनन की सूचना नहीं है। यह आंख में धूल झोंकने जैसा है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट

सिंडीकेट करता है काम

नदियों से अवैध रूप से बालू खनन मामले में दी गई जानकारी के अनुसार खनन का काम सिंडीकेट करवाता है। पट्टाधारक को बमुश्किल 10 से 15 फीसदी मुनाफा मिलता है जबकि 70 फीसदी तक मुनाफा सिंडीकेट के खाते में जाता है। नियमानुसार खुदाई सिर्फ उतने एरिया में हो सकती है जितनी जमीन का पट्टा हुआ हो। खुदाई के लिए जेसीबी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। रवन्ना सीधे बैंक में पैसा जमा करने पर जारी हो जाएगा। लेकिन, यही सच नहीं है। होता इसके ठीक उलट है। रवन्ना बैंक से सिंडीकेट के इशारा होने के बाद जारी किया जाता है। सिंडीकेट का ग्रीन सिग्नल न हो कुछ नहीं हो सकता।

हटाए जा चुके हैं कमिश्नर

इलाहाबाद के एक कमिश्नर को अवैध खुदाई के चलते ही हटाया जा चुका है। हाई कोर्ट का आदेश होने के बाद उन्होंने फतेहपुर जिले के अड़वल घाट पर हो रही अवैध खुदाई पर नकेल कसना शुरू कर दिया था। यहां आधा दर्जन से अधिक जेसीबी मशीन से खुदाई कराने वालों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त होना बताया गया था। कार्रवाई के बाद बात बिगड़ गई नतीजा अफसर को ही यहां से जाना पड़ गया। इसके बाद तीन में से एक स्थान पर खुदाई बंद हो गई थी।

लाल सलाम ने फूंक दी थी जेसीबी

कौशांबी जिले में अवैध खुदाई को लेकर कई बार सिंडीकेट और लाल सलाम के लोग आमने सामने आ चुके हैं। कई बार जबर्दस्त फायरिंग हो चुकी है। दो बार जेसीबी मशीनो को आग लगा दिए जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसकी रिपोर्ट भी संबंधित थानों में दर्ज है।

पूरी जांच में फंसेंगे बड़े नाम

अवैध खनन पर पहले ही रोक लगा चुके कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश देकर सबको चौंका दिया है। अवैध खोदाई के बूते करोड़ों में खेलने वाले सिंडीकेट के तार राजनेताओं से सीधे जुड़े होना बताया जाता है। गुरुवार को फैसला आने के बाद कोर्ट के बाहर ही चर्चा शुरू हो गई कि सीबीआई ने जांच शुरू कर दी तो कई राजनेता भी इसमें फसेंगे।